यूपी विधानसभा में लगी अदालत, 6 पुलिसकर्मियों को सुनाई एक दिन कारावास की सजा
2004 में पुलिसकर्मियों ने तोड़ा था बीजेपी विधायक का पैर

- रिपोर्टः ज्ञानेश वर्मा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा ने 15 दिसंबर 2004 के पुराने एक मामले में तत्कालीन बीजेपी विधायक सलिल विश्नोई द्वारा दिए गए विशेषाधिकार हनन के मामले शुक्रवार को 6 पुलिसकर्मियों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई। इस दौरान सभी पुलिसकर्मियों को विधानसभा में बनी सेल के लॉकअप में रखा गया। इससे पहले विधानसभा में 1964 में अदालत लगी थी।
दरअसल विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का ये मामला 2004 का है। तब सपा की सरकार थी, मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे। कानपुर में बिजली कटौती के विरोध में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना धरने पर बैठे थे। उनके साथ तब के स्थानीय बीजेपी विधायक सलिल विश्नोई और कार्यकर्ता थे।प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने बीजेपी विधायक और कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया। इसमें सलिल विश्नोई का पैर टूट गया। कई बीजेपी कार्यकर्ताओं को चोट भी आई। इसके बाद विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना 25 अक्टूबर 2004 को विधानसभा सत्र में रखी गई थी।
जानकारी के अनुसार विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के मामले में इन सभी 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ साल 2004 से मई 2005 तक सुनवाई हुई। सुनवाई होने के बाद 17 साल पहले सभी पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया जा चुका था। लेकिन 2005 के बाद से अभी तक सजा का ऐलान नहीं हुआ था। जिसके बाद शुक्रवार को कानपुर लाठीचार्ज के मामले मे दोषी ठहराए गए 6 पुलिसकर्मियों को शुक्रवार को एक दिन कारावास की सजा सुनाई गई।
6 पुलिसकर्मियों के नाम तत्कालीन क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद (अब सेवानिवृत्त), तत्कालीन थानाध्यक्ष किदवई नगर ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन उपनिरीक्षक थाना कोतवाली कानपुर नगर त्रिलोकी सिंह, तत्कालीन कांस्टेबल छोटेलाल यादव, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह है।
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