फर्जी मार्कशीट तैयार कर धन बटोरने के मामले में दोबारा होगी सुनवाई, जिला अदालत ने जारी किया फरमान
निचली अदालत ने सबूत का अवसर समाप्त कर आरोपियों को कर दिया था बरी

- रिपोर्टः एम रहमान, वरिष्ठ पत्रकार (मुजफ्फरनगर)
मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में फर्जी मार्कशीट तैयार कर धन अर्जीत करने के मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई। अदालत ने आरोपी इम्लाख के खिलाफ दो अलग, अलग मामलों में निचली अदालत द्वारा दोष मुक्त करने के फसलों को रद्द कर दिया है। साथ ही शासन की अपील मंजूर कर दोनों मामलों की पुनः सुनवाई के लिए निचली अदालत को आदेश दिए है।
फर्जी मार्कशीट और मुहरें हुई थी बरामद
दरअसल थाना सिविल लाइन में आरोपी इम्लाख के खिलाफ फर्जी मार्कशीट तैयार कर धन बटोरने की शिकायत पर जिला प्रशासन के निर्देश पर धारा 420,467,468,471 आईपीसी के तहत 2 मामले दर्ज कराए गए थे। जो तत्कालीन थाना प्रभारी सिविल लाइन एवं डीआईओएस मुज़फ्फरनगर द्वारा अलग अलग दर्ज कराए थे। जिनमें फर्जी मार्कशीट और मुहरें आदि बरामद दिखाई गई थी। आरोप था कि इम्लाख निवासी शेरपुर, बाबा कोचिंग सेंटर की आड़ में यूपी बोर्ड समेत अन्य बोर्डों की मार्कशीट तैयार कर लोगों से उसके बदले धन वसूलने के आरोप था।
जिला जज की अदालत में की अपील
दोनों मामलों की सुनवाई एसीजएम सेकंड मुकीम अहमद की अदालत में चली। अदालत ने दोनों मामलों में आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था। 16 और 30 अप्रैल 2022 को दिए गए इस फैसले के खिलाफ शासन ने जिला जज की अदालत में अपील दायर की थी और बताया गया कि था कि निचली अदालत के निर्णय गैर कानूनी है। अभियोजन पक्ष को पूरा अवसर नही दिया गया और सबूत का अवसर समाप्त कर सबूत के अभाव में आरोपियों को दो अलग-अलग मामलों में बरी कर दिया गया है
निचली अदालत को दोनों फैसले रद्द
अपील के बाद दोनों मामलों की सुनवाई एडीजे-3 गोपाल उपाध्याय की अदालत में हुई। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दोनों मामलों में अपील मंजूर करते हुए निचली अदालत ऐसीजेएम सेकंड मुकीम अहमद के दोनों फैसलों को रद्द कर दिया और आदेश दिया कि दोनों मामलों को दोबारा सुनवाई के लिए निचली अदालत को रिमांड किया जाता है।
10 फरवरी को होगी सुनवाई
दोनों पक्ष आगामी 10 फरवरी 2023 को निचली अदालत में अपना पक्ष रखेंगे। अदालत दोनों मामलों में दोनों पक्षों को समान अवसर देकर सुनवाई करेगी। मामले में सरकार की ओर से सहायक ज़िला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी, अरुण शर्मा और सतेंद्र कुमार ने जोरदार बहस करके अपना पक्ष रख कर पैरवी की।
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