क्या है हिंडनबर्ग, जिसने डुबाया अडानी का साम्राज्य, जानिए कौन है इसका मालिक?

 अडानी ग्रुप का घाटा भारत के रक्षा बजट 4 लाख 32 हजार करोड़ रुपये से भी है दोगुना
 
Hindenburg vs Adani

नई दिल्ली। अडानी ग्रुप के कंपनियों के स्टॉक में तेज गिरावट अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अभी भी जारी है। हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को अडानी ग्रुप पर रिपोर्ट जारी की थी। इसके बाद अडानी ग्रुप ने अपने 20,000 करोड़ के एफपीओ को विड्रॉ कर दिया।  अडानी ग्रुप का घाटा भारत के रक्षा बजट 4 लाख 32 हजार करोड़ रुपये से भी दोगुना है। हालांकि अडानी ग्रुप ने अपने उपर लगे सभी आरोपों को  खारिज किया है लेकिन अडानी समूह के द्वारा दी गई सफाई किसी काम नहीं आ रही है और शेयर दिन के दिन जमीन की तरफ बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही दुनिया के टॉप 10 अमीरों की लिस्ट से गौतम अडानी का नाम भी गायब हो गया। 

हिडनबर्ग कंपनी
हिंडनबर्ग रिसर्च अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी है। रिसर्च फर्म का फोकस एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलिंग पर है। फोरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च फर्म हिंडेनबर्ग कंपनी का मुख्य काम शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करना है। इस रिसर्च के माध्यम से हिंडनबर्ग कंपनी यह पता करती है कि शेयर बाजार में कहीं गलत तरह से पैसों की हेरा-फेरी हो रही है।

हिंडनबर्ग कंपनी के फाउंडर
हिंडनबर्ग कंपनी के फाउंडर.. नाथन एंडरसन है। उन्होंने हिडनबर्ग कंपनी की स्थापना 2017 में की थी। इस कंपनी में सिर्फ 9 कर्मचारी काम करते हैं। कंपनी ने अब तक 20 कंपनियों के खिलाफ इस तरह की रिपोर्ट जारी की है और कई कंपनियां इसमें बर्बाद हुई हैं जिससे उनके कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। 2020 में हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसके बाद निकोला कंपनी के शेयर 80% तक टूट गए थे। RD लीग्ल,पर्शिग गोल्ड समेत कई कंपनीयों के हिंडनबर्ग ने खुलासे किए है।

हिंडनबर्ग द्वारा अडाणी कंपनी को लेकर किए गए दावें
हिंडनबर्ग ने अडाणी कंपनी को लेकर अपनी रिसर्च में बड़े आरोप लगाए हैं, जिसके चलते अडाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट आई है। गौतम अडानी की नेटवर्थ में आई गिरावट के चलते अब वे अरबपतियों की लिस्ट में खिसककर 21वें पायदान पर पहुंच गए हैं। हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर पहला आरोप लगाया है कि अडाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयर की कीमत उसी सेक्टर में बिजनेस करने वाली दूसरी कंपनियों की तुलना में 85% तक ज्यादा है।
उसमें यह भी आरोप है कि शेयर मार्केट में हेराफेरी करके अपने शेयरों की कीमत बढ़वाई है। हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर सबसे बड़ा आरोप यह लगाया है कि कंपनी पर 2.20 लाख करोड़ से ज्यादा का भारी कर्ज है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनियों ने अपनी हैसियत से ज्यादा कर्ज ले रखा है। 

शॉर्ट सेलिंग क्या है?
शेयर बाजार में एक छोटी सी अवधि में लाभ कमाने के लिए एक शॉर्ट सेलिंग की जाती है। यानि शॉर्ट सेलिंग एक ऐसी रणनीति है जिसमें आप उन शेयरों को बेचते हैं जिन्हें आप मार्जिन खाते का उपयोग करके अपने डीमैट खाते में नहीं रखते हैं। ऐसे मामले में आप मार्जिन शुल्क का भुगतान करके अपने ब्रोकर से शेयरों या प्रतिभूतियों को उधार ले सकते हैं। आपको यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आप अपने ब्रोकर को उधार के शेयरों का निपटान चक्र के अंत में वापस कर देंगे- जो आमतौर पर शेयरों के मामले में एक दिन का होता है और मुद्राओं, वायदा और विकल्पों के मामले में दीर्घकालीन अवधि का होता है।

शॉर्ट सेलिंग कैसे काम करता है?
शॉर्ट सेलिंग में निवेशक उस शेयर को बेचता है जो व्यापार के समय उसके स्वामित्व में नहीं होते हैं। निवेशक कारोबारी ब्रोकरेज की मदद से मालिक से शेयर उधार लेता है और कीमतें गिरने की उम्मीद के साथ बाजार मूल्य पर बेचता है। जब कीमतों में गिरावट होती है, शॉर्ट विक्रेता शेयर बेचता है और लाभ बुक करता है। शॉर्ट सेलिंग में, विक्रेता के पास वह शेयर नहीं है जो वह बेच रहा है। इन्हें दूसरे मालिक से उधार लिया जाता है।


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