Death Anniversary:बीसवीं सदी के विद्वानों में सबसे उपर था इनका नाम, आजाद भारत के दूसरे राष्ट्रपति ने शिक्षा के क्षेत्र दिया महत्वपुर्ण योगदान...

राधाकृष्णन ने बीएचयू के कुलपति के रूप में छात्रों के व्यक्तित्व विकास पर दिया जोर
 
Dr Sarvepalli Radhakrishnan

नई दिल्ली। आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है। दर्शनशास्त्र के ज्ञानी ने भारतीय दर्शनशास्त्र में पश्चिमी सोच की शुरुवात की थी। बीसवीं सदी के विद्वानों में सबसे उपर अपना नाम कमाने वाले राधाकृष्णन ने बीएचयू के कुलपति के रूप में छात्रों के व्यक्तित्व विकास पर जोर दिया और एक शिक्षक का आदर्श जीवन भी प्रस्तुत किया। 

जीवन परिचय
डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के छोटे से गांव तिरुमनी में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सर्वपल्ली विरास्वामी था। इनकी मां का नाम सीताम्मा था।

व्यक्तिगत जीवन
राधाकृष्णन की शादी 16 साल की उम्र में सिवाकमु से शादी कर दी गई। जिनसे उन्हें 5 बेटी व 1 बेटा हुआ। इनके बेटे का नाम सर्वपल्ली गोपाल है। राधाकृष्णन जी की पत्नी की मौत 1956 में हो गई थी।  

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शिक्षा  
डॉ राधाकृष्णन ने अपनी शिक्षा तिरुमनी गांव से प्रारंभ की। आगे की शिक्षा के लिए इनके पिता जी ने क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरुपति में दाखिला करा दिया। सन 1900 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने वेल्लूर के कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, से अपनी आगे की शिक्षा पूरी की। डॉ राधाकृष्णन ने 1906 में दर्शन शास्त्र में M.A किया था।

करियर  
1909 में राधाकृष्णन जी को मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र का अध्यापक बना दिया गया। सन 1916 में मद्रास रजिडेसी कालेज में ये दर्शन शास्त्र के सहायक प्राध्यापक बने। वे इंग्लैंड के oxford university में भारतीय दर्शन शास्त्र के शिक्षक बन गए। जिस कालेज से इन्होंने M.A किया था वही का इन्हें उपकुलपति बना दिया गया। किन्तु डॉ राधाकृष्णन ने एक वर्ष के अंदर ही इसे छोड़ कर बनारस विश्वविद्यालय में उपकुलपति बन गए।

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राजनीती 
डॉ.राधाकृष्णन ने 1947 से 1949 तक संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया। 13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक वे देश के उपराष्ट्रपति रहे। 13 मई 1962 को ही वे भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए।  

उपलब्धियां
शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए डॉ. राधाकृष्णन को सन 1954 में सर्वोच्च अलंकरण “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया। 1962 से राधाकृष्णन जी के सम्मान में उनके जन्म दिवस 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।

निधन
17 अप्रैल 1975 को डॉ राधाकृष्णन का निधन हो गया था।


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