Death Anniversary: एक प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और भारतीय राजनेता थे जी बी पन्त, यूपी के पहले सीएम की गद्दी पर कर चुके है राज

मात्र 12 वर्ष की आयु में हुआ था गोविन्द का विवाह  
 
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नई दिल्ली। पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त एक प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और भारतीय राजनेता थे। वे उत्तर प्रदेश के पहले सीएम और भारत के चौथे गृहमंत्री रह चुके है।  1957 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित जीबी पन्त ने आज के ही दिन दुनिया को अलविदा कह दिया था।

जीवन परिचय
पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त का जन्म 10 सितम्बर 1887 को अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में हुआ था। इनकी मां का नाम गोविन्दी बाई और पिता का नाम मनोरथ पन्त था। बचपन में ही इनके पिता का निधन हो गया था। इनकी परवरिश उनके नाना बद्री दत्त जोशी और मौसी ने की थी।  

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व्यक्तिगत जीवन 
1899 में मात्र 12 वर्ष की आयु में गोविन्द का विवाह 'पं. बालादत्त जोशी' की कन्या 'गंगा देवी' से हो गया था। जिनका बाद में देहान्त हो गया। उनकी तीसरी पत्नी कलादेवी से 10 अगस्त, 1931 को भवाली में एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम श्रीकृष्ण चन्द्र पंत रखा गया।

शिक्षा
गोविन्द ने लोअर मिडिल की परीक्षा संस्कृत, गणित, अंग्रेज़ी विषयों में विशेष योग्यता के साथ प्रथम श्रेणी में पास की। गोविन्द ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय  गणित, राजनीति और अंग्रेज़ी साहित्य से स्नातक की परीक्षा पास की थी। उन्होंने 1909 में कानून की डिग्री सर्वोच्च अंकों के साथ हासिल की। इसके उपलक्ष्य में उन्हें कॉलेज की ओर से "लैम्सडेन अवार्ड" दिया गया।

स्वतन्त्रता संग्राम में दिया महत्वपुर्ण योगदान
दिसम्बर 1921 में वे गान्धी जी के आह्वान पर असहयोग आन्दोलन का हिस्सा बने। 9 अगस्त 1924 को काकोरी काण्ड करके उत्तर प्रदेश के कुछ नवयुवकों ने सरकारी खजाना लूट लिया तो उनके मुकदमें की पैरवी के लिये अन्य वकीलों के साथ पन्त जी ने जी-जान से सहयोग किया।  1928 के साइमन कमीशन के बहिष्कार और 1930 के नमक सत्याग्रह में भी उन्होंने भाग लिया और मई 1930 में देहरादून जेल की हवा भी खायी थी।

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यूपी के पहले सीएम बने गोविन्द 
17 जुलाई 1937 से लेकर 2 नवम्बर 1939 तक वे ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रान्त अथवा यूपी के पहले मुख्यमन्त्री बने। इसके बाद दोबारा उन्हें यही दायित्व फिर सौंपा गया और वे 1 अप्रैल1946 से 15अगस्त 1947 तक यू पी के मुख्य मन्त्री रहे।  

 निधन
7 मार्च 1961 को हार्ट अटैक से इनका निधन हो गया था। निधन के वक्त भी वे भारत सरकार में केन्द्रीय गृह मन्त्री पद पर विराजमान थे।


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