Birth Anniversary: भारत के छठे राष्ट्रपति जिन्होंने स्वतंत्रता की ल़ड़ाई में भी दिया अपना महत्वपुर्ण योगदान

नई दिल्ली। नीलम संजीवा रेड्डी भारत के छठें राष्ट्रपति थे। उन्हें एक राजनेता और प्रशासक के रूप में याद किया जाता है। रेड्डी ने बचपन से ही स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेना शुरू कर दिया था और बाद में वे एक अच्छे राजनेता के तौर पर प्रसिद्ध हुए। नीलम संजीवा रेड्डी भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जिनको राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर पहली बार असफलता मिली थी लेकिन दूसरी बार उम्मीदवार बनाए जाने पर राष्ट्रपति पद के लिए इनका चुनाव हुआ था।
जीवन परिचय
नीलम संजीवा रेड्डी का जन्म 19 मई, 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में मध्यम वर्गीय परिवार हुआ था। नीलम संजीवा रेड्डी के पिता का नाम नीलम चिनप्पा रेड्डी था। वे कॉग्रेस के पुराने कार्यकर्ता और प्रसिद्ध नेता टी. प्रकाशम के साथी थे।
शिक्षा
नीलम संजीवा रेड्डी की प्रारंभिक शिक्षा थियोसोफिकल हाई स्कूल अडयार, मद्रास में शुरू हुई थी। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने आर्ट्स कॉलेज अनंतपुर में प्रवेश लिया। किन्तु जुलाई 1929 में गांधीजी से मिलने के बाद रेड्डी जी का जीवन पूरी तरह से बदल गया।
व्यक्तिगत जीवन
नीलम संजीव रेड्डी का विवाह 8 जून, 1935 को नागा रत्नम्मा के साथ हुआ था। दोनों के एक पुत्र एवं तीन पुत्रियां हैं।
राजनीतिक सफ़र
गांधीजी ने उन्हें अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने को प्रेरित किया। महात्मा गांधी की बातों, कार्यों का रेड्डी पे बहुत गहरा असर हुआ और उन्होंने मात्र 18 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता की लड़ाई में अपनी उपस्थिती दर्ज कराई। उन्होंने विदेशी वस्त्रों को त्याग दिया और खादी को अपने पहनावे के रूप में अपनाया।
1936 में मात्र 23 वर्ष की आयु में वे आंध्र प्रदेश प्रोविशिनल कांग्रेस कमिटी के सचिव चुने गए। रेड्डी 1946 में मद्रास विधानसभा के लिए चुने गए और मद्रास कांग्रेस विधान मंडल दल के सचिव निर्वाचित हुए। 1949 में नीलम संजीव रेड्डी संयुक्त मद्रास राज्य में नशाबंदी, आवास, मद्य निषेध एवं वन मंत्री बन कार्य किया। 1964-1977 तक रेड्डी जी राज्यसभा के सदस्य रहे। 1977 में रेड्डी ने जनता पार्टी की सदस्यता प्राप्त की।
निधन
1जून 1996 में 83 वर्ष की आयु में रेड्डी जी का निधन उनके पैतृक स्थान में हुआ।
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