Death Anniversary:महान दार्शनिक और वामपंथी विचारधारा के अविष्कारक थे कार्ल मार्क्स, इनके विचारों ने बदल दी दुनिया

नई दिल्ली। महान दार्शनिक और वामपंथी विचारधारा का अविष्कारक कार्ल मार्क्स अपने विचारों को बेहतर तरीके से लोगों को समझाने के लिए अक्सर बियर के ग्लास का प्रयोग करते थे। शब्दों के जादूगर मार्क्स अपने प्रभावी शब्दावली और भाषण से लोगों को खूब प्रभावित करते थे। आज उनकी पुण्यतिथि पर आइए जानते है उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें........
जीवन परिचय
कार्ल मार्क्स का जन्म प्रशिया के राइन प्रांत के ट्रियर नगर में 5 मई, 1818 को हुआ था। मार्क्स के पिता हेईनरिच मार्क्स एक वकील थे। उनकी मां हेनरीएट प्रिजबर्ग एक होलेन्ड की डच महिला थी। कार्ल मार्क्स अपने माता-पिता के 9 बच्चो में से पहले जीवित बच्चे थे।
शिक्षा
कार्ल मार्क्स की प्रारंभिक शिक्षा जिमनेजियम के स्कूल में पूरी हुई। बोन विश्वविद्यालय से उन्होंने कानून की शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद बर्लिन विश्वविद्यालय से दर्शन एवं इतिहास का अध्ययन किया। जेना विश्वविद्यालय से उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
व्यक्तिगत जीवन
कार्ल मार्क्स ने 1836 में जेनी वोनवेस्टफालेन नाम की महिला से सगाई कर ली थी और परिवारिक विरोधों के 7-8 वर्षों के बाद उन्होंने जेनी से विवाह किया। इनकी 4 बेटियां थी- लौरा मार्क्स, जेनी मार्क्स लोंग्युएट, हेलेन डेम्युथ, जेनी एवेलिन फ्रांसिस मार्क्स और एक बेटी भी था जिसका नाम एडगर मार्क्स था।
मार्क्स के कार्य
कार्ल मार्क्स ने ‘होली फैमिली’ नामक पुस्तक प्रकाशित करवाई जिसमें उन्होंने सर्वहारा वर्ग और भौतिक दर्शन की सैद्धांतिक विचारधारा पर सर्वाधिक प्रकाश डाला। वर्गविहीन समाज की स्थापना करना मार्क्स का प्रमुख उद्देश्य था। 1867 में मार्क्स का प्रथम विश्वविद्यालय ग्रंथ ‘दास कैपिटल’ प्रकाशित हुआ, जिसके द्वारा संपूर्ण विश्व में उन्हें प्रसिद्धि प्राप्त हुई।
‘द पॉवर्टी ऑफ फिलॉस्फी’ भी उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है।
निधन
कार्ल मार्क्स का निधन 14 मार्च 1883 को हुआ था।
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