Birth Anniversary: भारत के राष्ट्रीय गान के रचयिता और नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई व्यक्ति थे रवींद्रनाथ टैगोर

महात्मा गांधी ने टैगोर को दी थी "गुरुदेव" की उपाधि  
 
Rabindranath Tagore

नई दिल्ली। एक बंगाली कवि, उपन्यासकार, चित्रकार, ब्रह्म समाज दार्शनिक, संगीतकार, समाज सुधारक, दृश्य कलाकार, नाटककार, लेखक- शिक्षाविद और नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई व्यक्ति रवींद्रनाथ टैगोर की आज जयंती है। टैगोर ने अपनी साहित्य कला के माध्यम से भारत की संस्कृति और सभ्यता को पश्चिमी देशों मे फैलाया। महात्मा गांधी द्वारा उनको ’गुरुदेव’ उपाधि दी गई।

जीवन परिचय
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का जन्‍म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर और मां का नाम  शारदा देवी था। टैगोर अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे। बचपन में उन्‍हें प्‍यार से 'रबी' बुलाया जाता था।

शिक्षा
रवींद्रनाथ टैगोर  की प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में हुई। 1871 में रविंद्र नाथ टैगोर के पिता ने इनका एडमिशन लंदन के कानून महाविद्यालय में करवाया लेकिन साहित्य में रुचि होने के कारण 2 वर्ष बाद ही बिना डिग्री लिए ही वे वापस भारत लौट आए।

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व्यक्तिगत जीवन
1883 रवींद्रनाथ टैगोर  का विवाह  10 वर्ष की म्रणालिनी देवी से हुआ।  टैगोर की 5 संताने थी- रथींद्रनाथ टैगोर, शमींद्रनाथ टैगोर, मधुरिलता देवी, मीरा देवी और रेणुका देवी
 
करियर
आठ वर्ष की उम्र में उन्‍होंने अपनी पहली कविता लिखी, सोलह साल की उम्र में उन्‍होंने कहानियां और नाटक लिखना प्रारंभ कर दिया था। वर्ष 1877 में रविंद्रनाथ टैगोर ने एक लघु कहानी ‘भिखारिणी’ और कविता संग्रह, ‘संध्या संघ’ की रचना की। अपने जीवन में उन्‍होंने एक हजार कविताएं, आठ उपन्‍यास, आठ कहानी संग्रह और विभिन्‍न विषयों पर अनेक लेख लिखे। इतना ही नहीं रवींद्रनाथ टैगोर संगीतप्रेमी थे और उन्‍होंने अपने जीवन में 2230 से अधिक गीतों की रचना की। उनके लिखे दो गीत आज भारत और बांग्‍लादेश के राष्‍ट्रगान हैं। रवींद्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाओं में बालका, पूरबी, सोनार तोरी और गीतांजली शामिल हैं।

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अंग्रेजों ने दी थी नाइटहुड की उपाधि
रविंद्रनाथ टैगोर को 1915 में राजा जॉर्ज पंचम ने नाइटहुड से भी सम्मानित किया था लेकिन टैगोर ने जलियांवाला बाग हत्याकांड का विरोध जताते हुए इसे वर्ष 1919 में वापस कर दिया था।

निधन
रवीन्द्रनाथ टैगोर का निधन 7 अगस्त 1941 को कोलकत्ता में हुआ।


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