Death Anniversary: भारत की पहली राज्यपाल थी सरोजिनी नायडू, महिलाओं के अधिकारों के लिए खूब किया था संघर्ष

इस महान स्वतंत्रता सेनानी ने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में निभाई महत्वपुर्ण भुमिका
 
Sarojini Naidu

नई दिल्ली। आज भारत की महान स्वतंत्रता सेनानी और 'नाइटिंगेल ऑफ इंडिया' ...सरोजिनी नायडू की पुण्यतिथि है।  सरोजिनी नायडू एक मशहूर कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और अपने दौर की महान वक्ता भी थीं। आइए जानते है उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें......

जीवन परिचय
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। उनके पिता घोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे तथा उनकी माता वरदा सुंदरी एक कवयित्री थीं। उनके पिता हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे और उन्होंने हैदराबाद के निज़ाम कॉलेज की स्थापना की थी। सरोजिनी आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं।

शिक्षा
सरोजनी नायडू की बचपन से ही कविताओं में बहुत रुचि थी।  12 साल की उम्र में ही उन्होंने 10 वीं की परीक्षा पास कर ली थी। उन्हें हैदराबाद के निज़ाम ने विदेश में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी और उन्होंने किंग कॉलेज लंदन में दाखिला लिया। लंदन में पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। 'गोल्डन थ्रैशोल्ड' उनका पहला कविता संग्रह था।  

व्यक्तिगत जीवन
सरोजिनी ने 19 साल की उम्र में डॉ गोविंदराजुलू से विवाह कर लिया था। डॉ गोविंदराजुलू गैर ब्राह्मण परिवार से थे जबकि सरोजिनी एक ब्राह्मण थीं। उन्होंने अंर्तजातीय विवाह किया जो कि उस दौर में मान्य नहीं था, लेकिन उनके पिता ने उनका पूरा सहयोग किया था। उनका वैवाहिक जीवन सुखमय रहा और उनके चार बच्चे भी हुए- जयसूर्या, पदमज, रणधीर और लीलामणि। 

Advt max relief tariq azim

क्यों मिली भारत कोकिला की उपाधि 
उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए ‘भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन’ में सक्रिय रूप से भाग लिया था। गांधी जी ने उनके भाषणों और प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें ‘भारत कोकिला’ की उपाधि दी थी।

भारत की पहली राज्यपाल 
स्वतंत्रता के बाद 1947 में वह संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) की राज्यपाल बनीं। सरोजिनी भारत की पहली महिला राज्यपाल थीं। 
 
साहित्य में योगदान
साल 1905 में ‘द गोल्डन थ्रेशोल्ड’ साल 1912 में ‘द बर्ड ऑफ टाइम’ और साल 1917 में ‘ब्रोकन विंग’ के नाम से उनकी कविताओं के तीन संग्रह प्रकाशित किए गए। उन्होंने केवल 13 साल की उम्र में 1300 पंक्तियों की कविता 'द लेडी ऑफ लेक' लिखी थी।

निधन
70 वर्ष की उम्र में 2 मार्च 1949 को दिल का दौरा पड़ने के कारण उत्तर प्रदेश के लखनऊ में उनका देहांत हो गया।


देश दुनिया के साथ ही अपने शहर की ताजा खबरें पाने के लिए अब आप समाचार टुडे के Facebook पेज Youtube और Twitter पेज से जुड़ें और फॉलो करें। इसके साथ ही आप SamacharToday को Google News पर भी फॉलो कर अपडेट प्राप्त कर सकते है।