Death Anniversary: पश्चिम भारत में मराठा सम्राज्य की नींव रखने वाले शिवाजी महाराज की गौरव गाथा राष्ट्रप्रेम की भावना से है ओतप्रोत

नई दिल्ली। भारत के महान राजाओं में से एक थे शिवाजी महाराज...छोटी आयु में ही शिवाजी ने युद्ध-कौशल में बहुत महानता हासिल कर ली थी। जन्म से ही कुशाग्र बुद्धि के शिवाजी शत्रु को चकमा देकर उन्हें हरा देते थे। उनकी इस रणनीति को गुरिल्ला युद्ध नीति के नाम से भी जाना जाता है।
जीवन परिचय
शिवाजी का जन्म पुणे जिले के जुन्नार गांव में 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था। शिवाजी महाराज के पिता का नाम शाहजी भोसले था। उनकी मां का नाम जीजाबाई था।
शिक्षा
शिवाजी को हिंदू धर्म की शिक्षा कोंडदेव (दादा) से भी मिली थी। कोंडा जी ने उन्हें सेना के बारे में, घुड़सवारी और राजनीति के बारे में भी बहुतसी बातें सिखाईं थी। शिवाजी बचपन से ही बुध्दिमान व तेज दिमाग के थे। 12 साल की उम्र में शिवाजी बंगलौर गए जहां उन्होंने शिक्षा ग्रहण की।
विवाह और बच्चे
शिवाजी का 12 वर्ष की आयु में साईंबाई से विवाह हो गया था। इसके अलावा उन्होंने सकरवरबाई, पुतलाबाई, सोयराबाई, सगुणाबाई शिर्के, काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे, गुंवांताबाई इंगले से भी विवाह हुआ। साईबाई से जो संतानें हुईं उनमें संभाजी, रानूबाई, सखूबाई, अंबिकाबाई हैं। सोयराबाई से राजाराम और दीपाबाई ने जन्म लिया।
गौरवगाथा
15 साल की उम्र में शिवाजी ने पहला युध्द लड़ा, उन्होंने तोरना किले में हमला कर उसे जीत लिया । इसके बाद उन्होंने कोंडाना और राजगढ़ किले में भी जीत का झंडा फहराया। शिवाजी के बढ़ते पॉवर को देख बीजापुर के सुल्तान ने शाहजी को कैद कर लिया, शिवाजी व उनके भाई संभाजी ने कोंडाना के किले को वापस कर दिया और फिर उनके पिताजी को छोड़ दिया गया। अपनी रिहाई के बाद शाहजी अस्वस्थ रहन लगे और 1664-65 के करीब उनकी मौत हो गई।
निधन
लंबी बीमारी के बाद 3 अप्रैल 1680 में शिवाजी का देहांत हो गया था।
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