Birth Anniversary: किसी ने कहा देशभक्त तो किसी ने कहा हत्यारा, गांधी के सिद्धांतो से नफरत करता था हिन्दू महासभा का दुलारा

इस कट्टर हिन्दू नेता ने दिल्ली के बिडला भवन में प्राथना-सभा में गांधी को सरेआम मार दी थी गोली
 
Nathuram Vinayak Godse

नई दिल्ली। जहां एक तरफ नाथुराम विनायक गोडसे को महात्मा गांधी का हत्यारा कहा जाता है वहीं दूसरी तरफ हिन्दूवादी लोग गोडसे को महान देशभक्त मानते है। सबके अपने अपने मत है। लेकिन इस सच्चाई से कोई मुंह नही मोड़ सकता है कि नाथूराम विनायक गोडसे एक कट्टर हिन्दू थे और वे मानते थे कि गांधी ने भारत के विभाजन के दौरान भारत के मुसलमानों की राजनीतिक मांगों का समर्थन किया था और इसलिए ही नारायण आप्टे और छह अन्य लोगों के साथ मिलकर गोडसे ने गांधी की हत्या की साजिश रची और दिल्ली के बिडला भवन में प्राथना-सभा में गांधी को सरेआम 3 गोली मार दी जिसके तुरंत बाद गांधी की मृत्यु हो गई। जिसके बाद एक साल तक चले मुकदमे में गोडसे को 8 नवंबर 1949 को मौत की सजा सुनाई गई और 15 नवंबर 1949 को अंबाला सेंट्रल जेल में गोडसे को फांसी दी गई थी।  आज गोडसे के जन्मदिन पर आइए जानते है उनके जीवन के कुछ खास बातें......

जीवन परिचय
नाथुराम विनायक गोडसे का जन्म  जन्म 19 मई 1910 को भारत के महाराष्ट्र के पुणे के पास बारामती में हुआ था। उनके पिता विनायक वामनराव गोडसे पोस्ट ऑफिस के कार्यकर्ता और माता लक्ष्मी बाई थी। जन्म के समय उनका नाम रामचंद्र था। 

कैसे पड़ा नाथुराम नाम 
उनके जन्म से पहले उनके माता-पिता को 3 बेटे और एक बेटी थी, लेकिन बचपन में ही वो तीनो बेटे मारे गये थे। अपने परिवार में बेटो की मृत्यु के डर से ही जन्म के आरंभिक काल में उनके माता-पिता ने नाथुराम को एक लड़की बनाकर रखा था। वे उसे एक लड़की की तरह रखते थे। क्यू की उन्हें डर था कि कही बाकी 3 बेटों की तरह नाथुराम भी मारा न जाये। 

शिक्षा
पांचवी तक गोडसे ने बारामती के स्थानिय स्कूल से ही शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने बीच में हाईस्कूल की पढ़ाई छोड़ दी थी और उसके बाद कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली।  

 राजनीतिक जीवन
नाथुराम गोडसे हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिन्दू महासभा के साथ जुड़े थे। ये दोनों दल मुस्लिम लीग की कट्टर विरोधी पार्टी थी। गोडसे ने हिन्दू महासभा के लिए एक मराठी पत्रिका “अग्रणी ” का प्रकाशन शुरू किया था जिसे बाद में “हिन्दू राष्ट्र” नाम कर दिया गया। गोडसे को गांधीजी के सिद्धांतो से सख्त नफरत थी और हमेशा उनको हिन्दू विरोधी मानते थे। गोडसे का मानना था कि गांधीजी हिन्दुओ की बजाय मुस्लिमो के सरक्षण में ज्यादा रूचि दिखा रहे थे जो उनको अनुचित और राष्ट्र विरोधी लगती थी।


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