Birthday Special:कहानी भारत के उस महिला की...जो बनी सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश

नई दिल्ली। एम. फातिमा बीबी का नाम उन चुनिंदा महिलाओं में लिया जाता है जिन्होंने पुरुष प्रधान न्यायतंत्र में महिलाओं के लिए रास्ता बनाया है। फातिमा बीबी को 1989 में सुप्रीम कोर्ट का जज़ नियुक्त किया गया। साल 1950 में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना होने के बाद देश को पहली महिला जज मिलने में 39 साल लग गए थे। वह साल 1983 में केरल हाई कोर्ट में जज के पद पर नियुक्त की गई थीं। हाई कोर्ट के जज़ के पद से रिटायर होने के महज 6 महीने बाद ही उन्हें 1989 में सुप्रीम कोर्ट का जज़ नियुक्त किया गया।
जीवन परिचय
फातिमा बीवी का जन्म 30 अप्रैल 1927 को तमिलनाडु के पतनमथिट्टा, त्रावणकोर में हुआ था। इनका पूरा नाम मीरा साहिब फ़ातिमा बीबी है। इनके पिता का नाम मीरा साहिब और मां का नाम खदीजा बीबी था।
शिक्षा
फातिमा बीवी ने टाउन स्कूल और कैथोलिक हाई स्कूल, पठानमथिटा में स्कूली शिक्षा प्राप्त की और यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से रसायन विज्ञान में बी.एससी। उसने अपना बी.एल. गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से।
करियर
फ़ातिमा बीबी को 14 नवंबर 1950 को एडवोकेट के रूप में नामांकित किया गया था। उन्होंने 1950 में बार काउंसिल की परीक्षा में टॉप किया था। उन्होंने केरल में निचली न्यायपालिका में अपना करियर शुरू किया। उन्हें मई, 1958 में केरल सब-ऑर्डिनेट ज्यूडिशियल सर्विसेज में मुंसिफ के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें जनवरी, 1980 में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था।। 6 अक्टूबर 1989 को न्यायाधीश के रूप में सर्वोच्च न्यायालय में उच्च पद पर आसीन हुईं और 29 अप्रैल 1992 को सेवानिवृत्त हुई थीं। बाद में वह 25 जनवरी 1997 को तमिलनाडु की राज्यपाल बनीं।
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