Birth Anniversary: दलितों को भारतीय राजनीति में दिलानें में निभाई महत्वपुर्ण भुमिका, कुछ ऐसा रहा बसपा के संस्थापक कांशीराम का संघर्ष भरा जीवन

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम योगदान देने वाले बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की आज 89 वीं जयंती है। कांशीराम ने दलितों से जुड़े कई मुद्दें उठाए और यहां तक कि उन्होंने ही अंबेडकर जयंती पर छुट्टी की मांग भी की थी। इसी तरह दलितों के लिए वकालत करते करते 1984 में बसपा की स्थापना कर दी। यूपी की राजनीति में उनके अहम योगदान को कभी नहीं भूला जा सकता है।
जीवन परिचय
vo-कांशीराम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रूपनगर में हुआ था। कांशीराम .. सिख रामदासिया समुदाय से आते हैं जिसे अछूत माना जाता था....उनके पिता का नाम हरि सिंह था। वे सात भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके माता का नाम बिशन कौर था।
शिक्षा
स्थानीय विद्यालयों से स्कूली शिक्षा लेने के बाद कांशीराम ने रूपनगर गवर्नमेंट कॉलेज से 1956 में बीएससी किया था।
नौकरी
उन्होंने पुणे की गोलाबारूद फैक्ट्री में क्लास वन ऑफिसर के पद पर कार्य किया था।
राजनीतिक करियर
1971 में उन्होंने ऑल इंडिया एससी, एसटी ,ओबीसी और माइनॉरिटी एम्पलाई एसोसिएशन का गठन किया। 1978 में यह संगठन BAMCEF नाम से जाना जाने लगा। कांशीराम ने 1982 में एक पुस्तक लिखी जिसका नाम था ‘द चमचा एज‘ .. इस किताब में उन्होंने दलित नेताओं जैसे जगजीवन राम और रामविलास पासवान को चमचा कहा था। वर्ष 1993 में पहली बार इटावा संसदीय सीट से चुनाव जीतकर वे लोकसभा में पहुंचे।
बहुजन समाज पार्टी का गठन
14 अप्रैल 1984 को कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी का गठन किया था। वे दलितों को सशक्त बनाना चाहते थे और उनके पिछड़ेपन को दूर कर उन्हें मजबूत बनाना चाहते थे।
निधन
2006 में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था।
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