महाशिवरात्रि 2023 का महापर्व कल, बन रहा शुभ योग, जानें पूजा का सही समय और अन्य जरूरी बातें

शिवशक्ति के मिलन का महापर्व है महाशिवरात्रिः ललिता प्रसाद रतूड़ी

 
MAHASHIVRATRI

Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि का पर्व ईश्वरीय सत्ता में परम शांति और गहनता के साथ उसमे एक हो जाने का उत्सव है महाशिवरात्रि का यह पर्व विशेष संयोग के साथ आ रहा है।हिंदू धर्म के अनुसार चार रात्रियों में से एक महाशिवरात्रि का पर्व शनिवार 18 फरवरी को मनाया जाएगा। ज्योतिष के अनुसार इस दिन, उत्तरा आषाढ़ नक्षत्र के साथ व्यतिपात योग तत्पश्चात श्रवण नक्षत्र के साथ वरियान योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ही त्रिग्रही योग एवं शनि प्रदोष इस महाशिवरात्रि पर बन रहा है। जो कि भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष फलदायी है।

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संतति प्राप्ति, शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के साथ ही शुभता में अभीवृद्धि करेगा। ये पर्व शिव और शक्ति के मिलन के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है, और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए इस महापर्व को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। ऐसी मान्यता है कि शिव-शक्ति के मिलन के दिवस पर पावन पर्व की पूजन करने से वैवाहिक जीवन की समस्याओं से मुक्ति होती है। इस महापर्व को शिव-पार्वती के महामिलन के साथ ही द्वादश ज्योतिर्लिंगो का प्राकट्य का दिन भी माना जाता है।

शिवरात्रि पूजन शुभमुहूर्त

महाशिवरात्रिः-18 फरवरी 2022

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:12 से 12:57 तक

निशिथकाल पूजा: मध्यरात्रि 12:09 से 01:00 मध्यरात्रि

पारण का समय:- प्रातः 06:57 के बाद (19 फरवरी)

चतुर्दशी तिथि आरंभ:- 08:06 PM से

चतुर्दशी तिथि समाप्त:- 04:21 PM                          

 चार प्रहर समय

  • संध्या 06:13 से रात्रि 09:24
  • रात्रि 09:24 से 12:35
  • रात्रि 12:35 से 03:46
  • रात्रि 03:46 से प्रातः 06:56

कालसर्प एवं पितृदोष से मुक्ति 

महाशिवरात्रि का पर्व विशेष संयोगो से युक्त है।इसलिए इस माहशिवरात्रि का विशेष महत्व है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली मे कालसर्प एवं पितृदोष, या कोई अशुभ योग है तो इस दिन शिवार्चना विधिपूर्वक करने से मुक्ति प्राप्त होती है

राशिनुसार करे ज्योतिलिंग की पूजा एवं रुद्राभिषेक

इस महापर्व पर व्यक्ति अपनी राशिनुसार शिवजी को निम्न पदार्थों से रुद्राभिषेक करके प्रसन्न करसकते हैं

मेष सोमनाथ ज्योतिलिंग का ध्यान कर शहद एवं गन्ने के  रस से अभिषेक कर शमी की पत्तियां चढ़ाएं

वृषभ मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग का ध्यान कर दूध ,दही से अभिषेक कर आक के पुष्प को चढ़ाएं

मिथुन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का ध्यान कर दूर्वा से अभिषेक कर बिल्वपत्र को चढ़ाएं

कर्क ओंकारेश्वर ज्योतिलिंग का ध्यान कर दूध शहद से अभिषेक कर अपामार्ग को चढ़ाएं

सिंह वैधनाथ ज्योतिलिंग का ध्यान कर गन्ने के रस से अभिषेक कर कनेर के पुष्प को चढ़ाएं

कन्या भीमाशंकर ज्योतिलिंग का ध्यान कर दूर्वा एवं दही से अभिषेक कर आक के पुष्प को चढ़ाएं

तुला रामेश्वर ज्योतिलिंग का ध्यान कर दूध एवं घी से अभिषेक कर पिले कनेर पुष्प को चढ़ाएं

वृश्चिक नागेश्वर ज्योतिलिंग का ध्यान कर गंगाजल से अभिषेक कर गेंदे के पुष्प को चढ़ाएं

धनु काशी विश्वनाथ ज्योतिलिंग का ध्यान कर, केसर से अभिषेक कर पिले कनेर के पुष्प को चढ़ाएं

मकर त्रयंबकेश्वर ज्योतिलिंग का ध्यान कर गंगाजल से अभिषेक कर धतूरे के पुष्प को चढ़ाएं

कुम्भ केदारेश्वर ज्योतिलिंग का ध्यान कर दही से अभिषेक कर कमल के पुष्प को चढ़ाएं

मीन धृशनेश्व ज्योतिलिंग का ध्यान कर फ्लो के रस से अभिषेक कर विल्बपत्र को अर्पण करें


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