कल महाशिवरात्रि पर इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, जानें क्यों मनाया जाता है यह पर्व

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है। देशभर में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है।
महाशिवरात्रि मनाने का कारण
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि मनाने के पीछे तीन प्रमुख कथाएं प्रचलित है।
पहला- इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था।
दूसरी- फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथ काल में भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे।
तीसरा- महाशिवरात्रि के दिन 64 जगहों पर शिवलिंग प्रकट हुए थे। जिसमें से केवल 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में पता है।
महाशिवरात्रि 2023
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि 17 जनवरी को रात्रि 8 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रही है, जो 18 फरवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।
महाशिवरात्रि चार प्रहर मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा रात्रि चार प्रहर के समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन प्रहर में भगवान शिव का अभिषेक करने के साथ विधिवत पूजा करने से वह जल्द प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। महाशिवरात्रि चार प्रहर का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि जानने के लिए यहां क्लिक करें।
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद मंदिर स्वच्छ करें और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें। इस दिन मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। ध्यान रखें जल में थोड़ा दूध और कुछ दाने चीनी के अवश्य मिलाएं। इसके बाद भोलेनाथ को चंदन का तिलक करें और मां पार्वती को सिंदूर का तिलक लगाएं। फिर दोनों को कलावे से बांधे। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, फूल और फल अर्पित करना शुभ माना जाता है। इस दिन गंगाजल, गन्ने के रस और शहद से भी भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है।
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