झांसी में वन विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत से लकड़ी माफिया दिन-रात उजाड़ रहे हरे भरे जंगल...
वन विभाग के अधिकारियों की करतूत हुई कैमरे में कैद

झांसी। देख लो डीएम साहब आपने अभी पखवाड़े के तहत पूरे झांसी में वृक्षारोपण अभियान के तहत जगह-जगह वृक्षारोपण किया है और जिम्मेदार अधिकारियों को वृक्षारोपण के निर्देश देकर जिले में भारी मात्रा में वृक्षारोपण कराया, पूरे वृक्षारोपण की जिम्मेवारी संभाल रहे मोठ वन विभाग अधिकारियों की एक करतूत भी देख लो, वृक्षारोपण कार्यक्रम के समापन हुए अभी कुछ दिन ही बीते थे कि वन विभाग के कुछ अधिकारियों ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और वन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जंगलों से लकड़ी माफियाओं के साथ मिलकर छूट प्रजाति के नाम पर बेशकीमती लकड़ी के कटान को भी शुरू करवा दिया है, जिसकी तस्वीर हमारी टीम के कैमरे में कैद हुई।
आपको बता दें कि पूरा मामला मोठ वन विभाग क्षेत्र का है, जहां वन विभाग क्षेत्र के अंतर्गत अमरौख मौजे में रोड किनारे लकड़ी माफियाओं द्वारा अवैध कटान किया जा रहा है, जिसकी तस्वीर हमारी टीम के कैमरे में कैद हुई, मोठ उप जिलाधिकारी के निर्देश पर वन विभाग की टीम ने मौके पर जाकर चोरी से काटी गई अवैध लकड़ी से भरी ट्रैक्टर ट्राली, तीन लकड़ी माफिया, दो पेट्रोल से चलने वाली लकड़ी काटने की मशीन एवं दो कुल्हाङी समेत आरोपियों को दबोच लिया और पकड़कर वन विभाग ले आए, कार्रवाई का दावा किया, और रातों-रात छूट प्रजाति के नाम पर बेसकीमती लकड़ी काटने वाले माफियाओं को खानापूर्ति करके छोड़ दिया, हालांकि लकड़ी माफियाओं की लकड़ी पकड़ने के बाद वन विभाग और माफिया की मिली भगत से ग्राम प्रधान सोनू ने लिखकर दे दिया कि लकड़ी किसान के खेत में है, हालांकि खतौनी में दर्ज नहीं है, लेकिन ग्राम प्रधान ने कहा है क्योंकि गांव के आका जो ठहरे।
किसान का आरोप
कहीं ना कहीं ग्राम प्रधान भी इसमें संदिग्ध है, इसके साथ ही हमारी टीम ने उक्त किसान से भी बात की। किसान रामदास का साफ कहना है कि उसकी खतौनी में उक्त लकड़ी दर्ज नहीं है। लेकिन ठेकेदार ने कहा हमारी वन विभाग मैं अच्छी खासी पकड़ है हम कटवा लेंगे, तो बेचारा किसान उसकी बातों में आ गया और पेङ कटान के लिए राजी हो गया। लकड़ी पकड़ने के बाद दूसरे दिन ग्राम प्रधान ने लिखकर दे दिया,किसान की खतौनी लगा दी, लकड़ी माफिया वन विभाग पहुंचे साम दाम और सांठगांठ जैसे तमाम शब्दों के प्रयोग के साथ, उसमें प्रयोग होने वाली सामग्री भी हवन की तरह डाली गई और रातों-रात लकड़ी से भरे ट्रैक्टर ट्राली को छोड़ दिया।
डिप्टी रेंजर संदीप रवीकुल ने कहा कि प्रधान ने लिखकर दे दिया है, किसान के खेत में लकड़ी थी, साहब यह बता दो जब दर्ज नहीं थी तो कैसे उक्त किसान की लकड़ी काट दी गई। डिप्टी रेंजर ने कहा कि वन विभाग के क्षेत्र में यह एक पेड़ आता है, जिसकी लकड़ी सामने रख ली है, और जुर्माना बसूला, जब मौके पर जाकर देखा तो बेशकीमती मोटी मोटी लकड़ी जा चुकी थी, पतली पतली लकङियों का ढेर लगा था, इसके साथ ही किसान का कहना है कि उसके चार पेड़ काटे गए हैं, लेकिन साहब कटान की कुछ दूरी से हाईवे किनारे से आधा दर्जन ट्रक लोड हो गए हैं। अब यह समझ नहीं आता कि आखिर 4 पेङों की लकड़ी कैसे आधा दर्जन ट्रकों में लोड हो जाती है। उसके बावजूद भी कुछ लकड़ी बच जाती है, ऐसे में कहीं ना कहीं वन विभाग के कर्मचारियों की संलिप्ता नजर आती है। जब वन विभाग के अधिकारियों से बातचीत करो तो वह कैमरे की नजर से बचते नजर आते हैं।
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