कुशीनगर: मनरेगा योजना में लूट की मिली छूट, रोजगार सेवक लगा रहें मजदूरों की फर्जी हाजिरी
जिम्मेदार अधिकारियों की नाक के नीचे किया जा रहा भ्रष्टाचार

कुशीनगर। सरकार एक तरफ भ्रष्टाचार पर लगाम लगा जिरोटालरेंस की निति पर काम कर रही और विकास कार्यों में पारदर्शिता लाकर सरकारी धन के बंदरबांट पर रोक लगाने का कार्य कर रही हैं। लेकिन जिले में कार्यरत जिम्मेदार अधिकारियों के चलते केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा योजना जमीनी धरातल पर उतरने से पहले ही भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ रही है।
मनरेगा योजना में किया जा रहा भ्रष्टाचार
गांव के मजदूरों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध करा उनको दूसरे प्रदेश में पलायन से रोकने के लिए चलाई जा रही मनरेगा योजना जिम्मेदारों के चलते भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गई है। ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक, पंचायत सचिव “ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर” (खण्ड विकास अधिकारी) जिनके द्वारा इस योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। साइड पर एक तरफ सात मजदूर काम कर रहें वही सत्तर मजदूरों की आनलाइन मस्टरोल में हाजिरी लग रही हैं। रोजगार सेवक द्वारा मजदूरों की फर्जी हाजिरी लगा पेमेंट कराया जा रहा मामला हाटा विकास खण्ड के कुरमौटा मंझरिया में कुरमौटा से सोहसा इंटर कालेज तक नहर की पटरी पर मस्टरोल जारी हैं जिसमें रोजाना 80 से लेकर 140 मजदूरों की रोजाना हाजिरी लग रही हैं लेकिन मौके पर 20 से 25 मजदूर काम करते मिले जायेंगे जिन मजदूरों की हाजिरी मस्टरोल में लगा रही वह मौके पर नहीं मिलते इस तरह मजदूरों की फर्जी हाजिरी लगाया जा रहा, अहिरौली राय में नहर की पटरी पर मिट्टी कार्य कराया जा रहा जिसमें रमायन गुप्ता के घर से चरगहा सिवान तक नहर के दक्षिण पटरी पर जिसमें 60 मनरेगा मजदूरों की आनलाइन हाजिरी लग रही हैं। लेकिन मौके पर पांच से सात मजदूर काम करते मिले तो परेवाटार में सात सेट मस्टरोल जारी हैं सड़क के दोनों तरफ मिट्टी का कार्य जिसमें 37 मजदूरों की हाजिरी लग रही हैं लेकिन मौके से 10 मजदूर ही काम कर रहें थें तो वैदौली महुआडिह में खजुरिया नहर से टावर तक मिट्टी कार्य जिसमें 37 मजदूरों की हाजिरी लग रही हैं लेकिन मौक़े पर कोई काम नहीं हो रहा और मजदूरों की हाजिरी लागातार चार दिनों से हाजिरी लग रही इस तरह के हाटा विकास खण्ड के दर्जनों गांवों में मस्टरोल जारी किया गया। जिन मजदूरों की हाजिरी लग रही वह साइड पर नहीं दिखते जिन मजदूरों की आनलाइन हाजिरी मस्टरोल में लगा हैं। वे कभी साइडों पर काम नहीं करते केवल कागजी आंकड़ों में ये काम करते लेकिन उनकी हाजिरी बना रोजगार सेवक द्वारा उनके बैंक खाते में पैसे भेज उनसे निकलवा लिया जाता है। इससे साफ तौर से देखें तो कहीं न कहीं मनरेगा योजना में ज़रूरत मंद मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा। जिससे सिस्टम पर सवाल खड़ा हो रहा इस सम्बन्ध में जब जिम्मेदार विकास खण्ड से लेकर जिले स्तर तक के अधिकारियों से बात किया जाता हैं तो वे जांच की बात कर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेते तो इससे साफ जाहिर होता हैं कहीं न कहीं उनकी भी इसमें मौन सहमति रहती अब देखना यह हैं की पुरे मामले पर कार्रवाई होती हैं या इसी तरह सरकारी धन का बंदरबाट कर केवल कागजी आंकड़ों तक ही योजनाएं संचालित होती रहती।
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