झांसी में आस्था और अंधविश्वास में गई व्यक्ति की जान
मृत व्यक्ति को जीवित करने का दावा सुन ग्रामीणों की जुटी भीड़

- रिपोर्टर-Dhirendra Raikwar
झांसी। बुंदेलखंड को उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता है। इसके साथ ही इस पिछले इलाके में आस्था और अंधविश्वास पर यहां के लोग आंख बंद करके भरोसा करते हैं और इसी आस्था अंधविश्वास और भरोसे के कारण यहा ऐसे अजीबो गरीब कारनामें बुंदेलखंड में देखने को मिलते हैं। अभी झांसी से कुछ ही समय पहले हमारे चैनल ने सर्प के काटने से महिला के हुई मौत की खबर दिखाएं समय नहीं बीता था जिसमें बाबा ने दावा किया था।
"बाबा ने भरा दम" मृत व्यक्ति को जिंदा करेंगे हम
ऐसा ही मामला झांसी के मऊरानीपुर क्षेत्र से सामने आया है, जिसमें शारदीय नवरात्रि के नवमे दिन आस्था और अंध विश्वास से जुड़ा मामला सामने आया है। जहां एक मृत व्यक्ति को जीवित करने का दावा चर्चा का विषय बन गया। जिसकी खबर क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। आस्था और भक्ति में विश्वास रखने वालो की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। लेकिन जब मृत व्यक्ति जीवित नहीं हुआ तो आस्था और भक्ति में विश्वास रखने वाले लोग वहा से भगवान की सब माया है, जीवन मरण भगवान के हाथ में है कहकर लोग चले गए।
आस्था और अंध विश्वास के चलते हुई युवक की मौत
बुंदेलखंड में धार्मिक आस्था रखने वाले लोगो के लिए जगह-जगह दरबार तो कही भविष्य बताने वाले अब हर शहर व गांव में देखे जाने लगे है। अब इसे आस्था कहे या अंधविश्वास। ऐसा ही एक मामला झांसी जिले की तहसील मऊरानीपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम हीरापुर में देखने को मिला, जहा हीरापुर निवासी पंचम लाल की बीमारी के चलते सुबह लगभग तीन बजे मौत हो गई, तो वही धार्मिक आस्था पर विश्वास रखने वाले लोगो ने मृत पंचम के परिजनों को गांव के बाहर बने देवी चबूतरा पर चलने को कहा, बताया गया कि उक्त देवी चबूतरा पर सुबह तीन बजे से एक महिला को देवी की सवारी आई और देवी ने उसे जीवित करने का दावा वहाॅ पर मौजूद सैकड़ों लोगों के सामने किया। लेकिन जब लगभग ग्यारह बजे परिजन पंचम को लेकर एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचे तो चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया और पंचम की मौत सुबह सात बजे लगभग हो गई थी। जबकि परिवार के लोग उसकी मौत तीन बजे होना बता रहे है। और दरबार में सांसे चलने की बात कह रहे। सवाल उठता है जब पंचम तीन बजे मृत हो गया और चिकित्सक उसकी मौत की सुबह सात बजे पुष्टी कर चुके है, तो क्या चार घंटे पंचम की सांसे चल रही थी और अगर चल रही थी तो समय रहते उसे चिकित्सीय उपचार मिल जाता, तो शायद वह बच सकता था। लेकिन आस्था और अंध विश्वास के चलते युवक की मौत हो गई। वही थक हार के परिजन अब युवक के अंतिम संस्कार में जुटे है।
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