मुजफ्फरनगरः मैली हुई बाण गंगा, जहरीला पानी आने से बड़ी संख्या में जलीय जंतुओं की मौत
जलीय जंतुओं की मौत और जहरीले पानी को लेकर संतों में रोष व्याप्त

मुजफ्फरनगर। पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को उत्तराखंड में लगे कारखाने पलीता लगा रहे है। हर वर्ष कारखानों की सफाई कराकर जहरीला पानी बाणगंगा में छोड़ दिया जाता है जिस कारण बाण गंगा का पानी तो काला हो ही जाता है साथ ही उसमें पल रहे जलीय जंतु भी मर जाते है। ये ही वजह है कि मुज़फ़्फ़रनगर के शुकतीर्थ से होकर जा रही इस बाण गंगा में जहरीला पानी आने से जहां हज़ारों जलीय जन्तु मौत के मुंह में समा गए वहीं गंगा का पानी गंदा होने के कारण साधु संतों में भी रोष पनप गया है।
दरअसल महाभारत कालीन तीर्थ स्थल शुकतीर्थ से होकर जाने वाली बाण गंगा में जहरीला पानी आने के कारण हज़ारों की संख्या में जलीय जंतुओं की मौत से नाराज़ और गंगा का पानी मैला होने के कारण साधु संतों ने गंगा में खड़े होकर प्रदर्शन किया। गंगा में जहरीला और गंदा पानी छोड़ने वाले कारखानों पर कार्रवाई की मांग की। गंगा में साधु संतों के प्रदर्शन की खबर मिलते ही प्रदूषण विभाग में हड़कंप मच गया। जिसके बाद आनन फानन में प्रदूषण विभाग की एक टीम गंगा स्थल पर पहुंचे और गंगा में बह रहे जहरीले पानी के तीन अलग अलग स्थानों से नमूने लिए जिनको परीक्षण के लिए भेजते हुए साधु संतों को शांत किया।
प्रदर्शन कर रहे साधुओं का कहना है की गंगा का जल प्रदूषित हो गया है लेकिन सरकार और जिला प्रशासन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जिस कारण सभी संतों को यहां आना पड़ा। कहा कि जब गंगा ही नहीं रहेगी तो तीर्थ ही ख़त्म हो जाएगा। तब साधु संत कहा जाएगे। कहा कि सबसे पुराना तीर्थ शुक्रताल है। इसका दूषित जल बंद कराया जाए और गंगा में शुद्ध जल लाया जाए। साथ ही मांग करते हुए कहा कि यहां का जल स्तर भी बढ़ाया जाए। यहां मछलियां मार रही है स्नान लायक पानी नहीं है।
वही साधुओं की नाराज़गी पर ज़िला पंचायत अध्यक्ष एवं नमामि गंगे के प्रदेश सहसंयोजक वीरपाल निर्वाल ने गंगा घाट पर पहुंचकर साधु संतों से वार्ता की और आरोपी कारखाना संचालकों पर कानूनी कार्रवाई कराने का आश्वासन देकर साधु संतों को शांत कराते हुए प्रदर्शन खत्म कराया। वीरपाल निर्वाल ने बताया कि वे शुक्रवार को यहां आए थे। प्रदूषित जल कुछ मछलियां मृत पाई गई थी और इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी और एसडीएम से शिकायत की थी। फिलहाल प्रदूषण विभाग की टीम ने जल के सैंपल लेकर जांच के लिए दिए है।
आपको बता दें कि अक्टूबर 2018 में भी बाण गंगा में इसी तरह काला पानी आया था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में उत्तराखंड के लक्सर से काला पानी आना बताया गया था। श्री गंगा सेवा समिति के महामंत्री डॉ महकार सिंह ने लक्सर की एक डिस्टलरी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। मगर, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी थी। पुलिस ने मामले में 10 मार्च 2019 में एफआर लगा दी थी।
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