मुरादाबाद में ईदगाह दंगे का योगी सरकार ने लिया संज्ञान, विधानसभा में चर्चा

इतने सालों बाद भी सार्वजनिक नही की गई रिपोर्ट

 
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मुरादाबाद। मुरादाबाद के ईदगाह में 1980 की ईद की नमाज के दौरान जानवर घुस आने की अफवाह ने पूरे शहर को दंगे की आग में धकेल दिया था, जिसमें काफी लोगों की जान चली गई थी, कई महीने शहर कर्फ्यू की चपेट में रहा,बहुत से लोगों की गिरफ्तारी हुई, कई सारे लोग घर छोड़ गए। इस मामले में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए सक्सेना आयोग का गठन कर दिया किया था। सक्सेना आयोग की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई थी, लेकिन इतने सालों के बाद भी वह रिपोर्ट सार्वजनिक नही की गई ,अब उत्तर प्रदेश की सरकार ने उस रिपोर्ट को विधानसभा पटल पर रख दिया है।

इतने सालों तक दबाकर क्यों रखी गई रिपोर्ट

1980 में ईदगाह में हुए दंगे को मुरादाबाद के लोग आज भी भुला नहीं पाए। इस दंगे को लेकर कौसर हयात से बात की गई तो उनका कहना था कि आज तक ये साफ नहीं हो पाया हैं कि सक्सेना आयोग की रिपोर्ट को इतने सालों तक दबा कर क्यों रखा गया, आज तक पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिला, उस दंगे की जिम्मेदार कहीं न कहीं तत्कालीन कांग्रेस की सरकार भी है, क्योंकि कांग्रेस के कार्यकाल में मुरादाबाद ईदगाह दंगे के साथ-साथ मेरठ के मलियाना और मुज़फ्फरनगर दंगा भी शामिल रहा है, अब अगर भाजपा सरकार ने इसे पटल पर रखा है तो ये उनका राजनीतिक हथकंडा है।

योगी सरकार को आई दंगे की याद

वही इस दंगे में पीडित फईम ने यूपी की योगी सरकार का धन्यवाद देते हुए कहा है कि भले ही देर से किसी सरकार को इन दंगा पीड़ितों की याद तो आई।


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