उत्तराखंड पहुंचे धीरेंद्र शास्त्री ने विरोधियों को दी नसीहत, कहा कायदे में रहेंगे तो फायदे में रहेंगे

समृद्धशाली परंपरा है हिमालय का वनस्पति तंत्रः धीरेंद्र शास्त्री

 
Dhirendra Shastri

उत्तराखंड। पिछले कई दिनों से चर्चा में आए मध्य प्रदेश के बाबा बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री उत्तराखंड पहुंचे हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट एक वीडियो में वे बता रहे है कि वे 2 से 3 दिन की यात्रा पर हैं। इसकी कड़ी में वे उत्तराखंड आए हैं। उनका कहना है कि वे उत्तराखंड के संतों को बागेश्वर धाम में होने वाले आयोजन का आमंत्रण देने आए हैं। वहीं, उन्होंने आचार्य बालकृष्ण से मुलाकात भी की है। इस दौरान उन्होंने अपने विरोधियों को नसीहत भी दी। उन्होंने कहा कि 'मिलकर सनातन का झंडा गाड़िए, कायदे में रहेंगे तो फायदे में रहेंगे'

दरअसल शुक्रवार को पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण के साथ बागेश्वर धाम सरकार के नाम से मशहूर धीरेंद्र शास्त्री यमकेश्वर पहुंचे। यहां उन्होंने पोखरी, माला और धमंद में पतंजलि के वेलनेस सेंटर और हर्बल गार्डन समेत विभिन्न योजनाओं की जानकारी ली। इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने फेसबुक पर वीडियो जारी किया। जिस पर उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा का निर्वहन करने और साधु-संतों को प्रणाम करने वे उत्तराखंड आए हैं।

धीरेंद्र शास्त्री विभिन्न स्थानों का भ्रमण कर हिमालय दर्शन का आनंद ले रहे हैं। वे एक स्थान पर न ठहरते हुए लगातार यात्रा कर रहे हैं। धीरेंद्र शास्त्री ने अपने अनुयायियों को बागेश्वर धाम पागल संबोधित करते हुए कहा कि भारत गुण-रहस्य से भरा हुआ है। आयुर्वेद के ज्ञान से पूरे भारत को निरोगी काया देने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे आचार्य बालकृष्ण उनके साथ हैं, आचार्य बालकृष्ण ने भी वीडियो में चुटकी लेते हुए कहा कि आजकल उनके अनुज धीरेंद्र शास्त्री पूरे देश में छाए हैं। सनातन और वैदिक परंपरा हमारा लक्ष्य है। उसी लक्ष्य के लिए धीरेंद्र शास्त्री भी काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री एक बड़े अनुष्ठान की तैयारी कर रहे हैं। यात्रा के दौरान हम कई संतों से मिले। हालांकि, ऋषिकेश में उनके किसी संत से मिलने की जानकारी नहीं है।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हर्बल वर्ल्ड हिमालय के वनस्पति तंत्र का स्वरूप है। ये हर्बल वर्ल्ड भारत को समृद्धशाली परंपराओं, विश्व बंधुत्व और सनातन संस्कृति की ओर ले जाने का कार्य करेगा। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि मुख्य दायित्वों का निर्वहन ही उनका मुख्य कर्तव्य है। बाबा तो यहीं हैं, यहीं थे और यहीं रहेंगे। उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री से कहा कि हिमालय देखें और हिमालय जैसा बनें।


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