झील नगरी नैनीताल नहीं झेल पा रही इमारतों का बोझ

तीन तरफ से दरक रहीं पहाड़ियां, एक्सपर्ट्स ने बजाई खतरे की घंटी

 
nainital

नैनीताल। झील नगरी नैनीताल इस समय भूस्खलन के खतरे में है। झील के किनारे और बलिया नाले के आसपास जमीन दरकने से नैनीताल की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट की ऊपरी पहाड़ियों में भी भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं। नैनीताल के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए यहां नए व्यवसायिक निर्माण पर रोक लगाई हुई है।

nainital

दरअसल... सबसे ज्यादा खतरा बलियानाले इलाके में दिखाई दे रहा है। ये पहाड़ी इलाके पिछले बीस सालों से धीरे-धीरे दरक रहा है, यहां से आबादी को भी हटाया गया है और इस पहाड़ी का करोड़ों रुपए लगाकर ट्रीटमेंट भी विशेषज्ञों की राय से किया गया है, लेकिन फिर भी पहाड़ी का टूटना लगातार जारी है। नैनीताल की लोअर मालरोड पर एक इलाका ऐसा है जो कि हर साल टूट कर झील में समा जाता है। हर साल इसमें भरान होता है, लेकिन उसका स्थाई इलाज अभी तक नहीं हो पाया है। बोट हाउस क्लब के पास बन बैंड स्टैंड भी झील की तरफ झुक गया है, यहां तारबाड़ लगा कर चेतावनी बोर्ड लगा दिया गया है। ये स्टैंड कब पानी में गिर कर डूब जाए ये खतरा बराबर बना हुआ है। डीएसबी कॉलेज के पास की पहाड़ी भी दरकती जा रही है, साथ ही राजभवन की एक पहाड़ी भी लगातार भूस्खलन की चपेट में है।

nainital

इतिहासकार प्रो अजय रावत का कहना हैं कि नैनीताल में अब आबादी और भवनों के बोझ को कम करने की जरूरत है। बेहतर यही है कि यहां से सरकारी दफ्तरों का बोझ कम करके उसे भीमताल विकासभवन अथवा हल्द्वानी शिफ्ट कर दिया जाए। दूसरा नैनीताल में पक्के निर्माण पर सख्ती से पाबंदी लगाई जाए। डीएम धीराज गर्बयाल का कहना है कि उन्होंने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का विशेषज्ञों से सर्वे करवाया है, साथ ही प्राधिकरण के जरिए अवैध निर्माण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि नैनीताल के स्वरूप को बनाए रखने के लिए वे हर कदम उठाएंगे।


देश दुनिया के साथ ही अपने शहर की ताजा खबरें पाने के लिए अब आप समाचार टुडे के Facebook पेज Youtube और Twitter पेज से जुड़ें और फॉलो करें। इसके साथ ही आप SamacharToday को Google News पर भी फॉलो कर अपडेट प्राप्त कर सकते है।