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डब्ल्यूएचओ ने यूरोप में बच्चों के मोटापे पर खतरे की चेतावनी दी

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SamacharToday.co.in - डब्ल्यूएचओ ने यूरोप में बच्चों के मोटापे पर खतरे की चेतावनी दी - Image Credited by EuroNews

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक नई रिपोर्ट ने एक स्पष्ट चेतावनी जारी की है, जिसमें यूरोपीय क्षेत्र में बचपन के मोटापे की दर को “खतरनाक रूप से उच्च” बताया गया है। हालांकि वैश्विक स्वास्थ्य अधिकारियों ने कुछ देशों में मोटापे की दर स्थिर होने का उल्लेख किया, पर समग्र प्रसार वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है।

डब्ल्यूएचओ की बचपन मोटापा निगरानी पहल (COSI) के तहत 37 यूरोपीय देशों में किए गए इस व्यापक सर्वेक्षण में 2022 से 2024 के बीच छह से नौ साल की उम्र के लगभग 470,000 बच्चों के डेटा का विश्लेषण किया गया। निष्कर्षों से पता चलता है कि हर चार छोटे बच्चों में से एक अधिक वज़न वाला है, जिनमें से दस में से एक मोटापे से ग्रस्त है। विशेष रूप से, दक्षिणी यूरोपीय राष्ट्रों में दरें काफी अधिक हैं, जहाँ लगभग पाँच में से एक बच्चा मोटापे के साथ जी रहा है। अध्ययन में लिंग असमानता भी देखी गई, जिसमें लड़कों में मोटापे की संभावना (13%) लड़कियों (9%) की तुलना में अधिक पाई गई।

संकट को समझना

बचपन का मोटापा एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो शरीर की अतिरिक्त चर्बी से परिभाषित होती है, जिसका बच्चे के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह केवल एक सौंदर्य संबंधी चिंता नहीं है; यह वयस्कता में टाइप 2 मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग और स्ट्रोक सहित गंभीर, गैर-संक्रमणीय रोगों (NCDs) के जोखिम को बढ़ाता है।

रिपोर्ट ने इस प्रवृत्ति को बढ़ाने वाले कई महत्वपूर्ण जीवनशैली कारकों की ओर इशारा किया। बच्चों का आहार सामान्य तौर पर खराब पाया गया, जिसमें केवल 32% बच्चे ही रोजाना सब्जियां खाते हैं। इसके विपरीत, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों का सेवन व्यापक है: 41% बच्चे मिठाई खाते हैं, 29% सोडा पीते हैं, और 16% सप्ताह में तीन बार से अधिक नमकीन स्नैक्स खाते हैं। रिपोर्ट में सामाजिक-आर्थिक स्थिति के साथ एक स्पष्ट सहसंबंध भी उजागर किया गया, जिसमें पाया गया कि उच्च शिक्षित माता-पिता के बच्चों का आहार स्वस्थ होने की संभावना अधिक थी।

इसके अतिरिक्त, सर्वेक्षण ने निष्क्रिय व्यवहार के बढ़ते प्रभाव का विवरण दिया। हालाँकि लगभग सभी माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे रोजाना कम से कम एक घंटा सक्रिय रहते हैं, लेकिन 42% बच्चे सप्ताह के दौरान रोजाना कम से कम दो घंटे स्क्रीन (मोबाइल डिवाइस, टेलीविजन, आदि) पर बिताते हैं, सप्ताहांत में यह दर 78% तक पहुँच जाती है।

विशेषज्ञ चिंता और नीतिगत सिफारिशें

शायद सबसे परेशान करने वाले निष्कर्षों में से एक माता-पिता द्वारा वज़न को कम आंकने का व्यापक मुद्दा था। कुल मिलाकर, अधिक वज़न वाले या मोटापे से ग्रस्त 66% बच्चों के माता-पिता का मानना ​​था कि उनका बच्चा या तो कम वज़न वाला है या सामान्य वज़न वाला है, एक ऐसी धारणा जो महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों में देरी करती है।

इस खतरनाक डेटा ने वैश्विक स्वास्थ्य निकाय से एक मजबूत बयान को प्रेरित किया। डब्ल्यूएचओ के यूरोप कार्यालय में पोषण, शारीरिक गतिविधि और और मोटापे के मुद्दों पर काम करने वाले क्रेमलिन विक्रमासिंघे ने स्थिति की गंभीरता पर जोर देते हुए कहा, “बचपन में अधिक वज़न और मोटापा खतरनाक रूप से उच्च बना हुआ है और वर्तमान तथा भविष्य की पीढ़ियों के स्वास्थ्य को खतरे में डालना जारी रखेगा।”

डब्ल्यूएचओ ने सदस्य देशों को इस प्रवृत्ति का मुकाबला करने के लिए आक्रामक नीतिगत उपायों को लागू करने की सिफारिश की है। इनमें मीठे पेय और अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर कर लगाना, स्कूल के भोजन के लिए उच्च पोषण मानकों को लागू करना, बच्चों के लिए जंक फूड के विपणन को प्रतिबंधित करना, और शारीरिक व्यायाम को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने वाली नीतियों का निर्माण करना शामिल है। चूंकि भारत भी बच्चों में मोटापे की बढ़ती दरों के साथ समान चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए इस यूरोपीय रिपोर्ट में उल्लिखित नीतिगत नुस्खे वैश्विक स्तर पर संभावित निवारक उपायों के लिए एक महत्वपूर्ण खाका प्रदान करते हैं।

अनूप शुक्ला पिछले तीन वर्षों से समाचार लेखन और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे मुख्य रूप से समसामयिक घटनाओं, स्थानीय मुद्दों और जनता से जुड़ी खबरों पर गहराई से लिखते हैं। उनकी लेखन शैली सरल, तथ्यपरक और पाठकों से जुड़ाव बनाने वाली है। अनूप का मानना है कि समाचार केवल सूचना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच और जागरूकता फैलाने का माध्यम है। यही वजह है कि वे हर विषय को निष्पक्ष दृष्टिकोण से समझते हैं और सटीक तथ्यों के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन, शिक्षा, रोजगार, पर्यावरण और जनसमस्याओं जैसे कई विषयों पर प्रकाश डाला है। उनके लेख न सिर्फ घटनाओं की जानकारी देते हैं, बल्कि उन पर विचार और समाधान की दिशा भी सुझाते हैं। समाचार टुडे में अनूप कुमार की भूमिका है — स्थानीय और क्षेत्रीय समाचारों का विश्लेषण ताज़ा घटनाओं पर रचनात्मक रिपोर्टिंग जनसरोकार से जुड़े विषयों पर लेखन रुचियाँ: लेखन, यात्रा, फोटोग्राफी और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा।

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