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मोदी-स्टार्मर वार्ता: व्यापार, सुरक्षा पर बनी नई साझेदारी

यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने गुरुवार को अपनी पहली आधिकारिक भारत यात्रा की शुरुआत मुंबई के राजभवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक से की, जो भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण चरण का संकेत है। गर्मजोशी भरे माहौल में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में व्यापार, रक्षा, शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और क्षेत्रीय स्थिरता की चिंताओं को दूर करने पर गहन ध्यान केंद्रित किया गया।
यह यात्रा, जो PM मोदी की जुलाई में हुई सफल यूके यात्रा के बाद हुई है, पारंपरिक राजनयिक आदान-प्रदान से परे जाकर दोनों देशों के बीच गहराते रणनीतिक तालमेल को रेखांकित करती है। चर्चा वैश्विक स्थिरता और पारस्परिक रूप से लाभप्रद आर्थिक विकास के साझा दृष्टिकोण पर आधारित थी।
‘विश्वास, प्रतिभा और प्रौद्योगिकी’ पर आधारित साझेदारी
बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, PM मोदी ने नए संबंधों को संचालित करने वाले रणनीतिक ढांचे को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “भारत और यूके के बीच साझेदारी विश्वसनीयता, प्रतिभा और प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित है। भारत की गतिशीलता और यूके की विशेषज्ञता एक अद्वितीय तालमेल बनाने के लिए एकजुट होती है। हमारी साझेदारी भरोसेमंद, प्रतिभा- और प्रौद्योगिकी-आधारित है।”
PM स्टार्मर ने भी इन भावनाओं को दोहराया और इस वार्ता को “भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने वाली एक नई आधुनिक साझेदारी” की शुरुआत बताया। यूके की मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता की ओर से आया यह राजनीतिक समर्थन भारत के साथ संबंध के महत्वपूर्ण महत्व के बारे में ब्रिटेन में एक मजबूत, द्विदलीय सहमति का सुझाव देता है, जिससे लंदन में भविष्य के सरकारी परिवर्तनों की परवाह किए बिना निरंतरता सुनिश्चित होती है।
शैक्षिक और आर्थिक सफलताएँ
वार्ता का एक महत्वपूर्ण परिणाम शैक्षिक सहयोग के संबंध में की गई घोषणा थी। PM मोदी ने खुलासा किया कि नौ यूके विश्वविद्यालय भारत में परिसर स्थापित करने के लिए तैयार हैं, जिसमें साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय पहले से ही गुरुग्राम में परिचालन में है। इस कदम से भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य में बदलाव आने, छात्रों को स्थानीय स्तर पर विश्व स्तरीय अवसर प्रदान करने और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
आर्थिक मोर्चे पर, चर्चा मुख्य रूप से इस वर्ष की शुरुआत में हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर केंद्रित रही। स्टार्मर ने FTA को “यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद से हमारे द्वारा किया गया सबसे बड़ा सौदा” बताया, और भारत के लिए भी इसके ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया। इस समझौते से द्विपक्षीय व्यापार में सालाना £25.5 बिलियन की पर्याप्त वृद्धि होने का अनुमान है, जो आर्थिक एकीकरण के महत्वाकांक्षी दायरे को दर्शाता है।
नेताओं ने महत्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग करने के लिए एक उद्योग गिल्ड और आपूर्ति श्रृंखला वेधशाला स्थापित करने पर भी सहमति व्यक्त की, जो डिजिटल और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है। धनबाद में इंडियन स्कूल ऑफ माइंस में एक उपग्रह परिसर इस प्रयास को और समर्थन देगा, जो मूर्त, प्रौद्योगिकी-संचालित परिणामों के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
रणनीतिक और रक्षा तालमेल
रक्षा सहयोग को एक बड़ा बढ़ावा मिला, इस घोषणा के साथ कि भारतीय वायु सेना (IAF) के उड़ान प्रशिक्षकों को यूके की रॉयल एयर फोर्स (RAF) में प्रशिक्षकों के रूप में सेवा देने के लिए प्रतिनियुक्त किया जाएगा। यह सैन्य प्रशिक्षण विनिमय पारस्परिक विश्वास और अंतर-संचालनीयता के गहरे स्तर को उजागर करता है।
भू-राजनीतिक मोर्चे पर, चर्चा में इंडो-पैसिफिक, पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता, और चल रहे यूक्रेन संघर्ष को शामिल किया गया। PM मोदी ने वैश्विक संघर्षों पर भारत के सैद्धांतिक रुख को दोहराया: “यूक्रेन संघर्ष और गाजा के मुद्दों पर, भारत संवाद और कूटनीति के माध्यम से शांति के लिए सभी प्रयासों का समर्थन करता है।” उन्होंने एक स्वतंत्र और खुले क्षेत्र को बनाए रखने के वैश्विक प्रयासों के अनुरूप, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की।
शैक्षिक पहलों के दीर्घकालिक प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए, वैश्विक शिक्षा नीति विश्लेषक, प्रोफेसर आलोक मिश्रा ने कहा: “नौ यूके विश्वविद्यालय परिसरों की स्थापना शैक्षिक सहयोग में एक नया अध्याय दर्शाती है। यह केवल भारत में विदेशी ब्रांडों को लाने के बारे में नहीं है; यह उच्च-गुणवत्ता वाले, अंतर्राष्ट्रीयकृत शिक्षा केंद्र बनाने के बारे में है जो प्रतिभा पलायन को उलट सकते हैं और वैश्विक चुनौतियों पर संयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा दे सकते हैं।“
यात्रा का समापन स्टार्मर द्वारा फुटबॉल प्रशंसकों से मिलने और दिवाली उत्सव से पहले मुंबई में दीये जलाने के साथ हुआ, जो बढ़ते सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है। इसे यश राज फिल्म्स की तीन प्रमुख प्रस्तुतियों की 2026 से यूके में शूटिंग की घोषणा से और बल मिला। इस यात्रा ने भारत-यूके संबंध की दिशा को सफलतापूर्वक मजबूत किया, इसे दोनों देशों के भविष्य के रणनीतिक हितों के लिए एक मूलभूत साझेदारी के रूप में स्थापित किया।
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बुनियादी ढाँचे के संकट के बीच जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने लॉन्च किया पहला महिला विंग

पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित इकाई, जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने अपने पहले समर्पित महिला विंग “जमात-उल-मोमिनात” को लॉन्च करने की घोषणा करके एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक बदलाव किया है। JeM प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के नाम से जारी एक पत्र के माध्यम से सामने आया यह अभूतपूर्व कदम, संगठन के पारंपरिक सिद्धांत से गंभीर विचलन का संकेत देता है और इसने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
खबरों के अनुसार, नई महिला ब्रिगेड के लिए भर्ती अभियान बुधवार, 8 अक्टूबर को पाकिस्तान के बहावलपुर में स्थित मरकज उस्मान-ओ-अली जैसे JeM के स्थापित धार्मिक और वित्तीय केंद्रों से शुरू हुआ। भारतीय खुफिया एजेंसियाँ इस महिला विंग के गठन को एक हताश रणनीतिक बदलाव के रूप में देख रही हैं। यह कदम संगठन के खिलाफ बड़े आतंकवाद विरोधी अभियानों के बाद उठाया गया है, खासकर उस ऑपरेशन के बाद जिसमें सादिया अजहर के पति मारे गए थे।
JeM का पारंपरिक सिद्धांत और झटके
जैश-ए-मोहम्मद, जो देवबंदी विचारधारा पर आधारित एक संगठन है, 2001 में भारतीय संसद पर हमले और 2019 में पुलवामा हमले जैसी अन्य घातक कार्रवाइयों के लिए जिम्मेदार रहा है। ऐतिहासिक रूप से, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिजबुल मुजाहिदीन (HM) जैसे पाकिस्तान-आधारित अन्य प्रमुख संगठनों की तरह, JeM ने भी महिलाओं को सशस्त्र जिहाद में शामिल होने या प्रत्यक्ष मुकाबले की भूमिकाओं में भाग लेने से रोकने की सख्त नीति बनाए रखी थी।
हालांकि, संगठन को मिले झटकों की एक श्रृंखला के बाद इस नीति में अपरिवर्तनीय बदलाव होता दिख रहा है। महिला विंग के गठन का कारण ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान संगठन को हुए बुनियादी ढांचे के नुकसान और प्रमुख कर्मियों की क्षति को माना जाता है। 7 मई को हुए इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने JeM के मरकज सुभानअल्लाह बेस को निशाना बनाया था, जिसमें एक प्रमुख कमांडर और सादिया अजहर के पति, युसूफ अजहर, मारे गए थे। खुफिया इनपुट से पता चलता है कि मसूद अजहर और उनके भाई तलहा अल-सैफ ने ऑपरेशन सिंदूर और उससे पहले हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद JeM की परिचालन संरचना में महिलाओं को शामिल करने के लिए संयुक्त रूप से मंजूरी दी थी, जिसे वे संगठन की क्षमता के पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक मानते हैं।
भर्ती की रणनीति
जमात-उल-मोमिनात नाम का नया विंग कथित तौर पर दो महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय समूहों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है: मारे गए JeM कमांडरों की पत्नियाँ और महिला रिश्तेदार—भावनात्मक बंधनों और वफादारी का लाभ उठाते हुए—और संगठन के कई केंद्रों में पढ़ने वाली आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएँ। भर्ती अभियान पाकिस्तान के बहावलपुर, कराची, मुजफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मनसेहरा सहित कई शहरों में केंद्रित है।
सुरक्षा विश्लेषकों के लिए भर्ती लक्ष्यों में यह बदलाव विशेष रूप से चिंताजनक है। महिला गुर्गों का उपयोग आतंकी समूहों को कई परिचालन लाभ प्रदान करता है, जिसमें रसद, आवाजाही और संभावित खुफिया जानकारी जुटाने में कम जाँच शामिल है, यह एक ऐसी रणनीति है जिसका इस्तेमाल पहले लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) और बोको हराम जैसे समूहों द्वारा व्यापक रूप से किया गया था।
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) प्रकाश मेनन, जो एक प्रतिष्ठित आतंकवाद विरोधी विश्लेषक हैं, ने इस नीतिगत बदलाव के रणनीतिक निहितार्थों पर प्रकाश डाला। जनरल मेनन ने कहा, “यह कदम JeM द्वारा एक स्पष्ट रणनीतिक बदलाव है। प्रमुख परिचालन कमांडरों को खोने के बाद वे अपनी रैंकों की भरपाई के लिए भावनात्मक पूंजी और हताशा का लाभ उठा रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “महिलाओं और कमजोर जनसांख्यिकी का उपयोग करने से उन्हें संवेदनशील खुफिया जानकारी जुटाने और रसद तक बेहतर पहुंच मिलती है, ऐसे क्षेत्र जहां पुरुष गुर्गे अधिक जांच का शिकार हो सकते हैं। यह भारत के लिए आतंकवाद विरोधी मैट्रिक्स को काफी जटिल बना देता है।“
संकट के बीच पुनर्निर्माण
महिला विंग का गठन JeM के वर्तमान परिचालन संकट के अनुरूप है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, JeM, HM और LeT सहित आतंकवादी संगठन कथित तौर पर पाकिस्तान के कम सुलभ खैबर पख्तूनख्वा (KPK) प्रांत में अपना प्राथमिक ठिकाना स्थानांतरित कर चुके हैं। अपने नष्ट हुए बुनियादी ढांचे और वित्तीय क्षमता के पुनर्निर्माण के एक हताश प्रयास में, पाकिस्तान स्थित हैंडलर सक्रिय रूप से सार्वजनिक दान मांग रहे हैं, अक्सर धार्मिक या मानवीय अपीलों को एक ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हुए।
हालांकि इस्लामिक स्टेट (ISIS), हमास और LTTE जैसे समूहों ने ऐतिहासिक रूप से महिला गुर्गों, जिनमें आत्मघाती हमलावर भी शामिल हैं, का उपयोग किया है, लेकिन JeM और LeT द्वारा महिलाओं को सशस्त्र या अर्ध-सशस्त्र भूमिकाओं में शामिल करना दक्षिण एशियाई आतंकवाद के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण और खतरनाक विकास को दर्शाता है। यह सक्रिय प्रतिभागियों के समूह को व्यापक बनाने और संगठन की गैर-लड़ाकू रसद और वैचारिक मशीनरी में महिलाओं को एकीकृत करने का स्पष्ट इरादा इंगित करता है, जिससे पुरुष गुर्गों को विशेष रूप से मुकाबला प्रशिक्षण और योजना पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलती है।
भारतीय सुरक्षा और खुफिया प्रतिष्ठान को अब सीमा पार खतरे के इस नए आयाम को संबोधित करने के लिए अपने निगरानी प्रोटोकॉल को अनुकूलित करने की आवश्यकता होगी, खासकर JeM से जुड़े शैक्षणिक और सामाजिक कल्याण संस्थानों के भीतर वैचारिक कट्टरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए। JeM में महिलाओं द्वारा निष्क्रिय सहायक भूमिका से सक्रिय परिचालन भूमिका की ओर बदलाव समूह के जीवित रहने और पुनर्गठन के प्रयासों में एक गंभीर वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।
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कनाडाई विदेश मंत्री अनीता आनंद की भारत यात्रा, राजनयिक संबंधों को पटरी पर लाने का संकेत

कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद अगले सप्ताह भारत का दौरा करने वाली हैं, जो इस वर्ष कार्यभार संभालने के बाद देश की उनकी पहली आधिकारिक यात्रा होगी। यह यात्रा एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हो रही है, जो पिछले दो वर्षों से चल रहे गहन तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को फिर से स्थापित करने के लिए नई दिल्ली और ओटावा दोनों द्वारा किए जा रहे सतर्क लेकिन दृढ़ प्रयास का संकेत है।
सितंबर 2023 में तत्कालीन कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद दोनों लोकतांत्रिक राष्ट्रों के बीच संबंध काफी बिगड़ गए थे। ट्रूडो ने सार्वजनिक रूप से कनाडा की धरती पर खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में “भारत सरकार के एजेंटों” की संलिप्तता का सुझाव दिया था। भारत ने इन आरोपों को “बेतुका और राजनीति से प्रेरित” बताते हुए दृढ़ता से खारिज कर दिया था, और पलटवार करते हुए कनाडा पर खालिस्तानी आतंकवादियों को अपने क्षेत्र से संचालित करने और उन्हें सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करने का आरोप लगाया था। इसके परिणामस्वरूप राजनयिकों का पारस्परिक निष्कासन हुआ और भारत द्वारा कुछ वीज़ा सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया, जिससे उच्च-स्तरीय जुड़ाव रुक गया था।
संबंधों में पिघलाव की नींव
वर्तमान यात्रा पिछले कुछ महीनों में फिर से शुरू हुए, हालांकि अस्थाई, जुड़ाव की नींव पर आधारित है। संबंधों में पिघलाव का एक महत्वपूर्ण संकेत जून में तब मिला जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जी7 शिखर सम्मेलन में अपने कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी (जस्टिन ट्रूडो की जगह) से मुलाकात की। इसके बाद 29 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और मंत्री आनंद के बीच “एक अच्छी बैठक” हुई।
डॉ. जयशंकर ने बाद में प्रगति का स्वागत करते हुए एक्स पर लिखा, “आज सुबह न्यूयॉर्क में कनाडा की एफएम @AnitaAnandMP के साथ एक अच्छी बैठक हुई। संबंधों को फिर से स्थापित करने के लिए उच्चायुक्तों की नियुक्ति स्वागत योग्य है। आज इस संबंध में आगे के कदमों पर चर्चा की। भारत में एफएम आनंद का स्वागत करने की प्रतीक्षा है।”
अगस्त में उच्चायुक्तों की बहाली—ओटावा में भारत के लिए दिनेश पटनायक और दिल्ली में कनाडा के लिए क्रिस्टोफर कूटर—ने आगे बढ़ने के लिए आवश्यक संस्थागत तंत्र प्रदान किया। इसके अलावा, कनाडा की उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नथाली जी. ड्रौइन के हालिया दिल्ली दौरे से पता चलता है कि सुरक्षा और खुफिया संवाद फिर से शुरू हो गया है, जो मरम्मत प्रक्रिया का एक केंद्रीय घटक है।
सामरिक और आर्थिक एजेंडा
उम्मीद है कि मंत्री आनंद का एजेंडा सुरक्षा सहयोग को सामान्य बनाने पर केंद्रित होगा, जो कनाडा की धरती का उपयोग करने वाले कट्टरपंथी तत्वों पर भारत की चिंताओं को देखते हुए आवश्यक है। आर्थिक रूप से, व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) के लिए बातचीत में ठहराव, जिसका उद्देश्य $10 बिलियन के व्यापार संबंध को बढ़ावा देना है, दोनों देशों के व्यापारिक समुदायों के लिए एक प्रमुख चिंता बनी हुई है। आगामी यात्रा से इन उच्च दांव वाली आर्थिक वार्ताओं को फिर से शुरू करने का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है।
रणनीतिक मामलों के एक प्रमुख विशेषज्ञ, डॉ. सी. राजा मोहन, ने इस राजनीतिक जुड़ाव की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। “आनंद की यात्रा राजनीतिक बयानबाजी से सामरिक आवश्यकता को अलग करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। दोनों राष्ट्र महसूस करते हैं कि कार्यात्मक सुरक्षा सहयोग, विशेष रूप से खालिस्तान मुद्दे से संबंधित, को कनाडाई घरेलू राजनीति की वेदी पर बलिदान नहीं किया जा सकता है,” डॉ. मोहन ने कहा। “एजेंडे को आतंकवाद विरोधी और आर्थिक सहयोग पर ठोस डिलिवरेबल्स को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि उस विश्वास को बहाल किया जा सके जो पिछले साल गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुआ था।”
यात्रा का परिणाम इन महत्वपूर्ण वार्ताओं के पुनरारंभ को मज़बूत करने और एक राजनीतिक तंत्र स्थापित करने की इसकी क्षमता से मापा जाएगा जो भविष्य के घरेलू दबावों से राजनयिक संबंध को बचा सके। हालाँकि निज्जर मामले की छाया अभी भी बनी हुई है, लेकिन व्यापार, आव्रजन और इंडो-पैसिफिक सुरक्षा जैसे साझा हितों पर विश्वास बहाल करने और सामान्य आधार खोजने की दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता ही इस राजनयिक रीसेट को संचालित करने वाली अंतर्निहित अनिवार्यता है। मंत्री आनंद की यह यात्रा भारत और कनाडा के कूटनीतिक गतिरोध को वास्तव में पार कर सकते हैं या नहीं, इसकी कसौटी होगी।
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कराकस में अमेरिकी दूतावास पर हमले की साजिश नाकाम

वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने दावा किया है कि अधिकारियों ने कराकस में अमेरिकी दूतावास परिसर को निशाना बनाने वाली एक आतंकवादी कार्रवाई को सफलतापूर्वक विफल कर दिया है, जिसमें संभवतः एक विस्फोटक उपकरण लगाने की योजना थी। मादुरो द्वारा अपने साप्ताहिक टेलीविजन संबोधन में की गई यह घोषणा, दोनों देशों के बीच बयानबाजी और कार्रवाई में नाटकीय वृद्धि को दर्शाती है, जिनके राजनयिक संबंध ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर आ चुके हैं।
राष्ट्रपति मादुरो ने आरोप लगाया कि यह एक ‘झूठा झंडा’ (false flag) ऑपरेशन था, जिसे रणनीतिक रूप से उनकी सत्तारूढ़ पार्टी और सरकार पर दोष मढ़ने के लिए योजनाबद्ध किया गया था, जिससे वाशिंगटन के साथ सैन्य और राजनीतिक गतिरोध बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस साजिश की पुष्टि दो मुखबिरों ने की थी, हालांकि उन्होंने इसमें शामिल विशिष्ट स्थानीय आतंकवादी समूह का नाम नहीं लिया। हालांकि, वेनेज़ुएला के नेता ने जोर देकर कहा कि तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद राजनयिक मिशन को सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
गहरे होते अविश्वास की पृष्ठभूमि
यह कथित साजिश कैरिबियन में बढ़ती सैन्य गतिविधियों की एक अस्थिर पृष्ठभूमि के बीच उभरी है। हालिया अमेरिकी सैन्य कार्रवाइयों के बाद तनाव बढ़ गया है, जिसमें वाशिंगटन ने अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में ड्रग कार्टेल नावों को निशाना बनाया है—इन कार्रवाइयों को कराकस मादुरो सरकार को गिराने और अपने विशाल प्राकृतिक संसाधनों, विशेष रूप से तेल पर नियंत्रण करने के उद्देश्य से की गई आक्रामकता के कृत्यों के रूप में देखता है।
अमेरिका और वेनेज़ुएला के बीच संबंध वर्षों से तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन 2019 में आधिकारिक तौर पर टूट गए जब अमेरिका ने मादुरो के पुनर्निर्वाचन की वैधता को खारिज करते हुए विपक्षी नेता जुआन गुआइदो को देश के वैध राष्ट्रपति के रूप में मान्यता दी। इसके कारण राजनयिक चैनलों का पूर्ण टूटना, कराकस के खिलाफ गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगाना (मुख्य रूप से महत्वपूर्ण तेल क्षेत्र को लक्षित करते हुए), और अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिए चल रही राजनीतिक लड़ाई हुई।
कथित ड्रग कार्टेल जहाजों पर अमेरिकी युद्धपोतों और मिसाइल हमलों की हालिया तैनाती—जिसमें मादुरो का दावा है कि 20 लोग मारे गए—का वेनेज़ुएला ने दक्षिण अमेरिका में हजारों सैनिकों की जवाबी तैनाती के साथ जवाब दिया है, जिससे सैन्य टकराव की स्पष्ट संभावना बढ़ गई है।
चेतावनी और सुदृढ़ीकरण
वेनेज़ुएला के अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने खतरे के बारे में संयुक्त राज्य अमेरिका को पहले ही आगाह कर दिया था। जॉर्ज रोड्रिगेज, जो अमेरिका के साथ चल रही, यद्यपि छिटपुट, वार्ताओं के लिए वेनेज़ुएला के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हैं, ने राजनयिक प्रयासों की पुष्टि की। रोड्रिगेज ने कहा, “हमने पहले ही वाशिंगटन को गंभीर खतरे के बारे में चेतावनी दी थी,” और पुष्टि किए गए खतरे के आलोक में, उन्होंने जोड़ा, “विशेष राजनयिक मिशन पर सुरक्षा उपायों को मजबूत किया गया है।”
भले ही राष्ट्रपति मादुरो ने राजनयिक मिशन की सुरक्षा का वादा किया हो, घटना का संदर्भ उच्च-दांव वाले उकसावे का संकेत देता है। विश्लेषकों का मानना है कि गैर-राज्यकर्ता, चाहे वे आतंकवादी समूह हों या ड्रग माफिया, जानबूझकर दोनों गहरे विरोधी राष्ट्रों के बीच युद्ध जैसी स्थिति पैदा करने के लिए अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाकर हमला करने का प्रयास कर सकते हैं।
मादुरो के संदेश में खतरे की दोहरी प्रकृति—अमेरिका से बाहरी सैन्य दबाव और आंतरिक तोड़फोड़—एक निरंतर विषय है। कथित नाकाम दूतावास साजिश ने राष्ट्र को घेरेबंदी में होने की कहानी को और मजबूत किया है, एक ऐसा विषय जिसका उपयोग अक्सर घरेलू सत्ता को मजबूत करने के लिए किया जाता है।
क्षेत्रीय स्थिरता के लिए रणनीतिक निहितार्थ
भू-राजनीतिक विशेषज्ञ इस स्थिति को अत्यधिक सावधानी से देखते हैं, यह देखते हुए कि दोनों पक्षों के उच्च-स्वर वाले दावों के बीच सत्यापन योग्य तथ्यों का पता लगाना मुश्किल है। हालांकि, क्षेत्रीय स्थिरता पर ऐसी घटना के संभावित प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
बोगोटा स्थित लैटिन अमेरिकी भू-राजनीति विश्लेषक डॉ. अलाना पेरेज़ ने टिप्पणी की, “दूतावास पर नाकाम हमले का दावा, इसकी तथ्यात्मक नींव की परवाह किए बिना, मौलिक रूप से कराकस और वाशिंगटन दोनों से बढ़ी हुई सुरक्षा और आक्रामक मुद्रा को सही ठहराने का काम करता है। अमेरिका के लिए, यह वेनेज़ुएला के तटों के पास युद्धपोतों की निरंतर उपस्थिति और मजबूत नशीले पदार्थों के विरोधी अभियानों को सही ठहराता है। मादुरो के लिए, यह शक्तिशाली घरेलू प्रचार है, जो इस कहानी को मजबूत करता है कि वह विदेशी-समर्थित अस्थिरता साजिशों के खिलाफ एकमात्र रक्षक हैं। यह तनाव कम करना लगभग असंभव बना देता है।”
चूंकि अमेरिका प्रतिबंधों और नौसैनिक तैनाती के माध्यम से मादुरो शासन पर दबाव बनाने की अपनी रणनीति जारी रखे हुए है, और कराकस सैन्य अभ्यास और साम्राज्यवाद विरोधी बयानबाजी के साथ जवाब दे रहा है, अनपेक्षित टकराव का खतरा उच्च बना हुआ है। कथित दूतावास साजिश ने अमेरिका-वेनेज़ुएला संबंधों के सबसे निचले बिंदु में केवल एक खतरनाक नया आयाम जोड़ा है, जिससे आगे के संकट को टालने के लिए तत्काल और सावधानीपूर्वक राजनयिक जुड़ाव की मांग की गई है।
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