Economy
एचडीएफसी बैंक दूसरी तिमाही: जमा राशि में उछाल, ऋण वृद्धि दर से अधिक

एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, भारत के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के ऋणदाता, ने चालू वित्त वर्ष (एफवाई26) की दूसरी तिमाही (क्यू2) के लिए शनिवार, 4 अक्टूबर को अपना अनंतिम व्यावसायिक अपडेट जारी किया। इन आंकड़ों से जमा राशि जुटाने में भारी उछाल का पता चलता है, जिसने सकल अग्रिमों (ऋण) की वृद्धि को रणनीतिक रूप से पीछे छोड़ दिया। यह विलय के बाद बैंक के बैलेंस शीट को अनुकूलित करने पर लगातार ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है।
बैंक के आंकड़े बताते हैं कि जहां जमा और अग्रिम दोनों में स्वस्थ साल-दर-साल (YoY) वृद्धि बरकरार रही, वहीं जमा राशि में दोहरे अंकों की वृद्धि ने बैंक की फंडिंग आधार को मजबूत करने की रणनीतिक प्राथमिकता को रेखांकित किया।
पृष्ठभूमि: विलय की अनिवार्यता
बैंक के त्रैमासिक प्रदर्शन का विश्लेषण लगातार हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (एचडीएफसी) लिमिटेड के साथ इसके परिवर्तनकारी विलय के संदर्भ में किया जाता है, जो जुलाई 2023 में प्रभावी हुआ था। विलय ने बैंक के ऋण पुस्तिका (लोन बुक) को काफी बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप क्रेडिट-टू-डिपॉजिट (सीडी) अनुपात बढ़ गया। तब से, बैंक का केंद्रीय उद्देश्य अपने सीडी अनुपात को आरामदायक स्तर पर लाने के लिए अपनी जमा राशि के आधार को तेज़ी से बढ़ाना रहा है, जिससे उसके विशाल परिचालन के लिए स्थायी, कम लागत वाली फंडिंग सुनिश्चित हो सके।
मज़बूत जमा जुटाव ने रणनीति की पुष्टि की
जुलाई से सितंबर की अवधि के दौरान, बैंक की औसत जमा राशि ₹27.10 लाख करोड़ तक पहुंच गई, जो पिछले साल इसी तिमाही में दर्ज ₹23.54 लाख करोड़ की तुलना में 15.1% की पर्याप्त वृद्धि है। क्रमिक रूप से, पिछली तिमाही (Q1 FY26) के ₹26.58 लाख करोड़ से जमा आधार में की स्थिर वृद्धि देखी गई।
कम लागत वाले फंडिंग सेगमेंट पर करीब से नज़र डालने से पता चलता है कि औसत चालू खाता बचत खाता (सीएएसए) जमा 8.5% YoY बढ़कर ₹8.77 लाख करोड़ हो गया। क्रमिक रूप से, सीएएसए में वृद्धि रही। हालांकि सीएएसए की वृद्धि स्थिर थी, समग्र जमा उछाल इंगित करता है कि बैंक ने सफलतापूर्वक उच्च मात्रा में सावधि जमा (टाइम डिपॉज़िट) जुटाए, जो एक तंग तरलता वातावरण में एक सामान्य प्रवृत्ति है। इसके अलावा, तिमाही-समाप्ति पर सीएएसए जमा में की YoY वृद्धि दर्ज की गई, जो ₹9.49 लाख करोड़ तक पहुंच गई।
अग्रिम वृद्धि सुसंगत बनी हुई है
सितंबर तिमाही के लिए एचडीएफसी बैंक के सकल अग्रिम (ऋण) ₹27.69 लाख करोड़ रहे, जो एक साल पहले के ₹25.19 लाख करोड़ से 9.9% की मजबूत वृद्धि दर्शाते हैं। तिमाही-दर-तिमाही (QoQ) आधार पर, अग्रिमों में जून तिमाही के ₹26.53 लाख करोड़ से की वृद्धि हुई।
लगभग दो अंकों की वृद्धि के बावजूद, अग्रिमों की वृद्धि जानबूझकर जमा वृद्धि दर () की तुलना में संतुलित रखी गई है। यह धीमी गति बैंक के सीडी अनुपात को प्रबंधित करने के घोषित लक्ष्य के अनुरूप है, भले ही इसका मतलब अस्थायी रूप से कुछ उच्च-मात्रा वाले कॉर्पोरेट ऋण खंडों का त्याग करना हो।
बैंक की चल रही रणनीति पर टिप्पणी करते हुए, श्री अनंत गोडबोले, एक अनुभवी मुंबई-स्थित बैंकिंग विश्लेषक, ने एकीकरण प्रक्रिया की परिपक्वता पर ध्यान दिया। गोडबोले ने कहा, “क्यू2 के आंकड़े पुष्टि करते हैं कि एचडीएफसी बैंक अपनी रणनीति को पूरी तरह से क्रियान्वित कर रहा है। जमा में मज़बूत दोहरे अंकों की वृद्धि बैंक के शक्तिशाली फ्रैंचाइज़ी मूल्य और अल्पकालिक ऋण पुस्तिका वृद्धि पर दीर्घकालिक फंडिंग स्थिरता को प्राथमिकता देने की उसकी रणनीतिक प्राथमिकता की पुष्टि करती है।” उन्होंने आगे कहा, “जमा जुटाने को अग्रिमों से आगे निकलने की अनुमति देकर, वे व्यवस्थित रूप से अपने बैलेंस शीट संरचना को सामान्य कर रहे हैं, जो विलय के बाद लचीलेपन और भविष्य की उच्च-गुणवत्ता वाली वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।”
एयूएम और स्टॉक प्रदर्शन
बैंक की औसत प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) में भी विस्तार परिलक्षित हुआ, जो जुलाई-सितंबर की अवधि में पिछले वर्ष की तुलना में बढ़कर ₹27.95 लाख करोड़ हो गया। क्रमिक रूप से, एयूएम में की वृद्धि हुई।
बाज़ार की प्रतिक्रिया के संदर्भ में, एचडीएफसी बैंक के शेयर पिछले कारोबारी सत्र में मामूली गिरावट के साथ ₹963.7 प्रति शेयर पर बंद हुए, जो की गिरावट है। दैनिक उतार-चढ़ाव के बावजूद, स्टॉक ने साल-दर-तारीख का लाभ दर्ज किया है, जो विलय की गई इकाई की दीर्घकालिक संभावनाओं में अंतर्निहित निवेशक विश्वास को दर्शाता है। बैंक इस महीने के अंत में Q2 FY26 के लिए अपने विस्तृत वित्तीय परिणाम घोषित करने वाला है।
Economy
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नए नियम से SBI कार्ड्स के स्टॉक में तेज़ी

भारतीय स्टेट बैंक कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज के शेयरों में बुधवार, 8 अक्टूबर को महत्वपूर्ण उछाल दर्ज किया गया, जिससे यह 2.5 प्रतिशत बढ़कर ₹927 प्रति शेयर पर बंद हुआ। यह उछाल मुख्य रूप से भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा प्रस्तावित क्रेडिट लॉस प्रॉविजनिंग के नए फ्रेमवर्क और प्रमुख ब्रोकरेज हाउसों के सकारात्मक दृष्टिकोण के कारण आया, जो 14 जुलाई के बाद से स्टॉक का उच्चतम स्तर है।
यह आशावाद आरबीआई के कुछ ऋण श्रेणियों, विशेष रूप से आवास और क्रेडिट कार्डों पर जोखिम भारांक (Risk Weights) को तर्कसंगत बनाने के प्रस्ताव से उपजा है। जोखिम भारांक यह निर्धारित करते हैं कि एक बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) को अपने परिसंपत्तियों के खिलाफ कितना पूंजी रखनी है, यह उस परिसंपत्ति के कथित जोखिम पर आधारित होता है।
जोखिम भारांक कटौती का प्रभाव
एसबीआई कार्ड्स के लिए मुख्य उत्प्रेरक क्रेडिट कार्ड प्राप्तियों के लिए जोखिम-भारित परिसंपत्तियों (RWA) में प्रस्तावित कमी थी, जो कथित तौर पर 150 प्रतिशत से घटकर 75 प्रतिशत होने वाली है। यह बदलाव एसबीआई कार्ड्स जैसी शुद्ध क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता कंपनी के लिए अत्यधिक लाभदायक है।
ब्रोकरेज फर्म मैक्वेरी ने तेज़ी से इसके सकारात्मक निहितार्थों को उजागर किया। उनके विश्लेषण ने सुझाव दिया कि जोखिम भारांक में 75 प्रतिशत तक की कमी एक बड़ी सकारात्मक बात है, क्योंकि यह कंपनी के लिए “लगभग 450 आधार अंक पूंजी मुक्त” कर देगी। इस मुक्त हुई पूंजी को आगे के विकास के लिए तैनात किया जा सकता है, जिससे कंपनी को अपने ऋण पुस्तिका (loan book) का विस्तार करने या अधिक आकर्षक उत्पाद पेश करने की अनुमति मिल सकती है, जिससे लाभप्रदता बढ़ेगी।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने भी इस तेज़ी के रुख की पुष्टि की। फर्म का अनुमान है कि हालिया वस्तु एवं सेवा कर (GST) दरों के तर्करहितकरण के बाद कॉर्पोरेट और खुदरा खर्च में स्वस्थ वृद्धि होगी, जिससे आम उपयोग की वस्तुएं सस्ती हो गई हैं। इसके अलावा, वे एसबीआई कार्ड्स की परिसंपत्ति गुणवत्ता में क्रमिक सुधार की उम्मीद करते हैं, जिससे कंपनी की वित्तीय स्थिरता में निवेशकों का विश्वास मज़बूत होगा।
स्टॉक प्रदर्शन और बाजार स्थिति
यह रैली स्टॉक के मज़बूत प्रदर्शन की अवधि को और बढ़ाती है। 2025 में अब तक, एसबीआई कार्ड्स के शेयरों में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो इसी अवधि के दौरान निफ्टी फाइनेंशियल इंडेक्स की लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि से काफी अधिक है। यह स्टॉक वर्तमान में अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर ₹1,027 के करीब कारोबार कर रहा है, जो इसके 52-सप्ताह के निचले स्तर ₹659.8 से काफी ऊपर है, जो निरंतर बाजार रुचि को दर्शाता है। कंपनी का वर्तमान बाजार पूंजीकरण ₹88,250 करोड़ है।
हालिया तेज़ी के बावजूद, एलएसईजी डेटा द्वारा संकलित, स्टॉक को कवर करने वाले 25 विश्लेषकों की औसत रेटिंग “होल्ड” बनी हुई है, जिसमें औसत मूल्य लक्ष्य ₹935 निर्धारित किया गया है। यह सतर्क औसत लक्ष्य बताता है कि जबकि आरबीआई का कदम एक मज़बूत प्रेरक है, निवेशक कार्यान्वयन और नए एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस (ECL) फ्रेमवर्क के पूर्ण प्रभाव पर अधिक स्पष्टता की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
नियामक बदलाव के व्यापक संदर्भ को संबोधित करते हुए, मुंबई स्थित पूंजी बाजार विश्लेषक, श्री ए. के. शर्मा, ने सेक्टर के लचीलेपन पर टिप्पणी की। “आरबीआई स्पष्ट रूप से ईसीएल फ्रेमवर्क के माध्यम से वित्तीय क्षेत्र में प्रॉविजनिंग मानदंडों को मानकीकृत करने पर केंद्रित है। एसबीआई कार्ड्स जैसे क्रेडिट कार्ड खिलाड़ियों के लिए, जोखिम भारांक में कमी एक सीधा पूंजी बूस्टर है, यही वजह है कि बाजार ने इतनी तेज़ी से प्रतिक्रिया दी। हालांकि, निवेशकों को बारीकी से निगरानी करने की आवश्यकता है कि नए ईसीएल प्रॉविजनिंग नियम, जिनके तहत बैंकों को वर्तमान चूक के बजाय अपेक्षित भविष्य के नुकसान के आधार पर पूंजी अलग रखने की आवश्यकता होती है, अंततः लाभप्रदता मार्जिन को कैसे प्रभावित करेंगे,” उन्होंने प्रारंभिक पूंजी राहत से परे एक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा।
हालिया वित्तीय परिणाम
बाजार में वर्तमान उत्साह कंपनी के जून तिमाही के प्रदर्शन में मामूली गिरावट के बावजूद आया है। 25 जुलाई को, एसबीआई कार्ड्स ने शुद्ध लाभ में 6.4 प्रतिशत की साल-दर-साल गिरावट दर्ज की, जो तिमाही के लिए ₹556 करोड़ पर स्थिर रहा, जो पिछले वित्तीय वर्ष की इसी तिमाही (Q1FY25) में ₹594 करोड़ था।
हालांकि, परिचालन मेट्रिक्स ने स्वस्थ अंतर्निहित वृद्धि का संकेत दिया। शुद्ध ब्याज आय (NII) में 13.8 प्रतिशत की मज़बूत वृद्धि देखी गई, जो ₹1,680 करोड़ तक पहुँच गई। कुल आय भी साल-दर-साल 12 प्रतिशत बढ़कर ₹5,035 करोड़ हो गई, जिसे ब्याज आय में 11 प्रतिशत की वृद्धि और शुल्क और कमीशन आय में 13 प्रतिशत की वृद्धि से बढ़ावा मिला, जो मज़बूत व्यावसायिक गति और उच्च कार्ड उपयोग मात्रा का संकेत देता है।
निरंतर खरीदारी की रुचि और अनुकूल नियामक वातावरण भारत के बढ़ते क्रेडिट कार्ड बाजार का लाभ उठाने की एसबीआई कार्ड्स की क्षमता में निवेशकों के मज़बूत विश्वास का संकेत देते हैं, जिससे एक सेक्टर लीडर के रूप में इसकी स्थिति मज़बूत होती है।
Economy
भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने जोड़े 13 लाख ग्राहक, पुनरुत्थान की बड़ी आहट

सरकारी स्वामित्व वाली दूरसंचार ऑपरेटर भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने एक साल से अधिक समय में अपनी सबसे महत्वपूर्ण ग्राहक वृद्धि दर्ज की है, अगस्त 2025 में 13 लाख (1.3 मिलियन) नए मोबाइल ग्राहक जोड़े हैं। यह आंकड़ा संघर्षरत कंपनी के लिए एक शक्तिशाली पुनरुत्थान का प्रतीक है, जिसने आखिरी बार मार्च 2025 में अपनी ग्राहक संख्या में मामूली वृद्धि देखी थी, जब वह केवल 50,000 उपयोगकर्ताओं को ही जोड़ पाई थी।
बीएसएनएल की इस बढ़ती किस्मत के पीछे दो प्रमुख कारक माने जा रहे हैं: देश भर में इसकी बहुप्रतीक्षित 4जी सेवाओं का चरणबद्ध रोलआउट और निजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों द्वारा लगातार टैरिफ वृद्धि का बाजार पर प्रभाव। कंपनी की यह वृद्धि विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में किफायती कनेक्टिविटी की एक सुप्त मांग को उजागर करती है, जहां बीएसएनएल की सेवाओं की पारंपरिक रूप से मजबूत, लेकिन अपर्याप्त, उपस्थिति रही है।
एक संघर्षरत दिग्गज की पृष्ठभूमि
बीएसएनएल, जो कभी फिक्स्ड-लाइन क्षेत्र में एकाधिकार रखती थी, को निजी खिलाड़ियों के प्रवेश और बाद में 2016 में रिलायंस जियो के नेतृत्व वाली 4जी क्रांति के बाद गंभीर परिचालन और वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। सरकारी और खरीद में देरी के कारण अपने नेटवर्क को 4जी तकनीक में समय पर अपग्रेड करने में असमर्थता ने बड़े पैमाने पर ग्राहक क्षति और बढ़ते घाटे को जन्म दिया था।
केंद्र सरकार ने इसके पुनरुद्धार के लिए कई पर्याप्त पैकेज दिए हैं, जिसमें 2022 में ₹1.64 लाख करोड़ का पैकेज शामिल है, जिसका उद्देश्य इसके नेटवर्क को 4जी और 5जी में अपग्रेड करना, वित्तीय सहायता प्रदान करना और इसके ऋण भार को कम करना था। वर्तमान विकास चरण संकेत देता है कि ये निवेश प्रयास अंततः ज़मीनी स्तर पर परिणाम देने लगे हैं, जिसका मुख्य कारण टीसीएस के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम के साथ साझेदारी में विकसित स्वदेशी तकनीक स्टैक का उपयोग करते हुए देश भर में लगभग 95,000 4जी टावरों की तैनाती है।
अस्थिर विकास प्रक्षेपवक्र
हालाँकि अगस्त 2025 की वृद्धि शानदार है, लेकिन बीएसएनएल की सुधार की राह आसान नहीं रही है। कंपनी ने पहली बार जुलाई से अक्टूबर 2024 के बीच लचीलेपन के संकेत दिखाए थे, जब उसने निजी प्रतिस्पर्धियों (जियो, एयरटेल और वीआई) द्वारा टैरिफ वृद्धि का लाभ उठाया था। उस चार महीने की अवधि के दौरान, बीएसएनएल ने 67.8 लाख उपयोगकर्ताओं को जोड़ा, जो इसके मूल्य संवेदनशीलता लाभ को प्रदर्शित करता है।
हालांकि, यह गति अल्पकालिक रही, और ऑपरेटर ने 2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में ग्राहक खो दिए। हाल के महीनों में देखी गई मजबूत रिकवरी—मई में 13.5 लाख, जिसके बाद अगस्त में वर्तमान 13 लाख—दर्शाती है कि नया 4जी नेटवर्क अब उच्च कीमत वाली निजी योजनाओं से स्विच करने वाले उपयोगकर्ताओं को एक विश्वसनीय विकल्प प्रदान कर रहा है।
जियो आगे, वीआई संघर्षरत
बीएसएनएल के मजबूत प्रदर्शन के बावजूद, बाजार के नेता अपना दबदबा बनाए हुए हैं। रिलायंस जियो ने अगस्त 2025 में 19.49 लाख वायरलेस ग्राहकों को जोड़कर अपनी अथक वृद्धि जारी रखी, जिससे उसकी 41.08% बाजार हिस्सेदारी और मजबूत हुई। भारती एयरटेल ने भी स्थिर वृद्धि दर्ज की, जिसमें 4.96 लाख मोबाइल उपयोगकर्ता जोड़े गए।
प्रतिस्पर्धी परिदृश्य वोडाफोन आइडिया (Vi) के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, जिसने उसी महीने के दौरान 3.09 लाख मोबाइल उपयोगकर्ताओं को खोकर अपनी गिरावट जारी रखी। वीआई का लगातार नुकसान उस भारी दबाव को रेखांकित करता है जिसका सामना वह अपने नेटवर्क को अपग्रेड करने और जियो और एयरटेल के साथ प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने के लिए नए पूंजी जुटाने में कर रहा है, जिससे यह बीएसएनएल के नए प्रतिस्पर्धी दबाव सहित बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
बीएसएनएल के हालिया लाभ पर टिप्पणी करते हुए, श्री ए.के. शर्मा, एक वरिष्ठ टेलीकॉम नीति विश्लेषक, ने पीएसयू के लिए अगले महत्वपूर्ण कदम पर प्रकाश डाला। “13 लाख ग्राहकों का जुड़ाव इस बात की पुष्टि करता है कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत में 4जी कनेक्टिविटी की दबी हुई मांग है जो बीएसएनएल ब्रांड के प्रति वफादार है, बशर्ते सेवा विश्वसनीय हो। हालांकि, इन आंकड़ों को सावधानी से देखना चाहिए। बीएसएनएल को वास्तव में स्थिर होने और एक स्थायी दीर्घकालिक चुनौती पेश करने के लिए, उन्हें इस आंशिक 4जी उपस्थिति को तेजी से एक व्यापक, राष्ट्रव्यापी पदचिह्न में बदलना होगा जो मौजूदा कंपनियों द्वारा पेश की गई गति और गुणवत्ता का मुकाबला कर सके। यह एक जीत है, लेकिन दौड़ अभी खत्म नहीं हुई है।”
अगस्त 2025 में बीएसएनएल की सफलता एक महत्वपूर्ण मोड़ को चिह्नित करती है, जो सरकार के पुनरुद्धार में बड़े पैमाने पर निवेश के लिए बहुप्रतीक्षित पुष्टि प्रदान करती है। कंपनी की इस गति को बनाए रखने की क्षमता अब पूरी तरह से उसके पूर्ण 4जी और भविष्य के 5जी नेटवर्क रोलआउट की गति और गुणवत्ता पर निर्भर करेगी, जो बाजार हिस्सेदारी को पुनः प्राप्त करने और भारत के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दूरसंचार क्षेत्र में अपने दीर्घकालिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक है।
Economy
असमान समृद्धि: भारत का अरबपति उछाल अधिकांश राज्यों से दूर

भारत की आर्थिक वृद्धि की कहानी अक्सर देश के बढ़ते अरबपतियों और विशाल धन सृजन की संख्या से आंकी जाती है, जो इसे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में स्थापित करती है। नवीनतम हुरुन इंडिया रिच लिस्ट (Hurun India Rich List) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में अब ₹1,000 करोड़ से अधिक की संपत्ति वाले 1,687 व्यक्ति हैं, जबकि 358 अरबपति (लगभग ₹8,500 करोड़ से अधिक संपत्ति) हैं। सामूहिक रूप से, ये व्यक्ति देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग आधे के बराबर संपत्ति रखते हैं। यह आंकड़ा निस्संदेह भारत के आर्थिक उत्थान का प्रतीक है।
हालांकि, जब इस अभूतपूर्व समृद्धि के भौगोलिक वितरण का गहराई से विश्लेषण किया जाता है, तो एक विषम और असमान तस्वीर उभरती है। यह धन देश के कोने-कोने में समान रूप से वितरित होने के बजाय, कुछ चुनिंदा राज्यों और शहरों में अत्यधिक केंद्रित है।
दस राज्यों का वर्चस्व
आंकड़ों के अनुसार, भारत की अधिकांश समृद्धि केवल दस राज्यों तक ही सीमित है। महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात मिलकर देश के आधे से अधिक करोड़पति परिवारों को आश्रय देते हैं। इसमें तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा को और जोड़ दें, तो ये दस राज्य मिलकर देश की 90% से अधिक समृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इसका स्पष्ट अर्थ है कि भारत की अधिकांश नई संपत्ति का सृजन और उपभोग कुछ मुट्ठी भर शहरी केंद्रों—जैसे मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और अहमदाबाद—में ही हो रहा है। देश के शेष हिस्सों के लिए, यह वृद्धि की कहानी अभी भी दूर की कौड़ी लगती है।
अभूतपूर्व एकाग्रता के कारण
धन का अवसर का अनुसरण करना स्वाभाविक है, लेकिन इस मामले में, अवसर ही असमान रूप से वितरित है। महाराष्ट्र, जो मुंबई (भारत की वित्तीय राजधानी) का घर है, ₹1,000 करोड़ से अधिक संपत्ति वाले 548 व्यक्तियों का केंद्र है, जो लगभग पूरे पूर्वी भारत के संयुक्त आंकड़े से अधिक है। इसके बाद दिल्ली (223) और कर्नाटक का स्थान है।
यह स्पष्ट पैटर्न बताता है कि पैसा वहीं रहता है जहाँ बुनियादी ढाँचा काम करता है, वित्तीय नेटवर्क मजबूत हैं, और निवेशक आत्मविश्वास महसूस करते हैं। इन राज्यों में उच्च शहरी घनत्व, कुशल प्रतिभा तक आसान पहुँच और संस्थागत सहायता जैसे कारक हैं जिनकी अन्य क्षेत्रों में अक्सर कमी होती है। मुंबई या बेंगलुरु में किसी व्यवसाय के पास पूँजी, कौशल और खर्च करने वाले उपभोक्ता तक त्वरित पहुँच होती है, जो इंदौर या पटना जैसे शहरों में समान विचार वाले उद्यमियों के लिए विकास की राह को धीमा कर देती है।
एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और अर्थशास्त्र की प्रोफेसर, डॉ. मृदुला नायर इस क्षेत्रीय असंतुलन पर टिप्पणी करती हैं: “अर्थशास्त्री चेतावनी देते हैं कि यह गहरा भौगोलिक असंतुलन केवल प्राकृतिक बाजार शक्तियों का परिणाम नहीं है, बल्कि राजकोषीय विकेंद्रीकरण की विफलता को भी दर्शाता है। कर प्रोत्साहन से लेकर बुनियादी ढाँचे के आवंटन तक की नीतिगत वास्तुकला उन स्थानों पर विकास को असंतुलित रूप से बढ़ा रही है, जिनके पास पहले से बढ़त है, जिससे देश के बाकी हिस्सों से प्रतिभा और पूंजी का पलायन हो रहा है।”
सामाजिक और आर्थिक लागत
धन के इस भौगोलिक क्लस्टरिंग की सामाजिक और आर्थिक दोनों तरह की कीमत चुकानी पड़ती है। जब समृद्धि कुछ ही कोनों में सिमट जाती है, तो यह सफलता के प्रति लोगों की सोच को भी आकार देती है। झारखंड या असम का कोई भी युवा जानता है कि ‘सफल’ होने के लिए, उन्हें शायद पलायन करना पड़ेगा—बेंगलुरु, गुरुग्राम, या मुंबई। सपनों का यह मौन प्रवासन इस असंतुलन का सबसे बड़ा लक्षण है, जो छोटे राज्यों को उन लोगों से वंचित कर रहा है जो अपने गृह प्रदेश में आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर सकते थे।
इसके अलावा, अत्यधिक एकाग्रता से देश की आर्थिक शक्ति में एक प्रकार की नाजुकता भी पैदा होती है। जब भारत की इतनी अधिक आर्थिक ताकत केवल दस राज्यों के भीतर निहित होती है, तो कोई भी राजनीतिक, पर्यावरणीय या वित्तीय संकट पूरे देश को अप्रत्याशित रूप से प्रभावित करता है। पिछली सदी के आर्थिक विश्लेषण भी इस प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हैं, जिसमें यह बताया गया है कि 2022-23 तक शीर्ष 1% की संपत्ति का हिस्सा 40.1% तक पहुँच गया, जिसे अर्थशास्त्रियों ने ‘अरबपति राज (Billionaire Raj)’ की संज्ञा दी है।
आगे की राह: संतुलित विकास
हुरुन सूची इस बात का आईना है कि भारत ने क्या हासिल किया है, और किन चीज़ों पर अभी भी ध्यान देने की आवश्यकता है। चुनौती केवल अधिक अरबपति बनाने की नहीं है, बल्कि एक ऐसा देश बनाने की है जहाँ लाखों लोग अपने जीवन में उस विकास को महसूस कर सकें।
यह असंतुलन तभी कम हो सकता है जब सरकारें द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में बुनियादी ढाँचे, शिक्षा और डिजिटल पहुँच में बड़े पैमाने पर निवेश करें। जब सड़कों, इंटरनेट और पूंजी का प्रवाह छोटे शहरों में होता है, तो नए अवसर स्वतः ही उसका अनुसरण करते हैं। एक सही मायने में मजबूत अर्थव्यवस्था वह होती है जहाँ प्रतिभा, विचार और काम की गरिमा पूरे मानचित्र पर स्थान पाती है, न कि केवल कुछ चुनिंदा महानगरीय क्षेत्रों में।
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